वेब-
पत्रकारिता
वेब पत्रकारिता को हम इंटरनेट पत्रकारिता, ऑनलाइन पत्रकारिता, सायबर पत्रकारिता आदि नाम से जानते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह कंप्यूटर और इंटरनेट के सहारे संचालित ऐसी पत्रकारिता है जो डिजिटल तंरगों के माध्यम से प्रदर्शित होती है और जिसकी पहुँच किसी एक पाठक, एक गाँव, एक प्रखंड, एक प्रदेश, एक देश तक नहीं बल्कि समूचे विश्व में है। वेब पत्रकारिता के पाठकों की संख्या को परिसीमित नहीं किया जा सकता तथा इसकी उपलब्धता भी सार्वत्रिक है। इसके लिए मात्र इंटरनेट और कंप्यूटर, लैपटॉप, पॉमटॉप या मोबाईल की ही जरूरत होती है। इंटरनेट के ऐसा माध्यम से वेब-मीडिया सर्वव्यापकता को भी चरितार्थ करती है जिसमें ख़बरें दिन के चौबीसों घंटे और हफ़्ते के सातों दिन उपलब्ध रहती हैं। वेब पत्रकारिता की विशिष्टता यह है कि इसमें उपलब्ध किसी दैनिक, साप्ताहिक, मासिक पत्र-पत्रिका को सुरक्षित रखने के लिए किसी अलमारी या लायब्रेरी की जरूरत नहीं होती। समाचार पत्रों और टेलिविज़न की तुलना में इंटरनेट पत्रकारिता की उम्र बहुत कम है लेकिन उसका विस्तार बहुत तेज़ी से हुआ है। ऑनलाइन पत्रकारिता में मल्टीमीडिया का प्रयोग होता है जिसमें, टैक्स्ट, ग्राफिक्स, ध्वनि, संगीत, गतिमान वीडियो, थ्री-डी एनीमेशन, रेडियो ब्रोडकास्टिंग प्रमुख हैं । परंपरागत प्रिंट मीडिया पाठकों को एक ही समय पर संपूर्ण संदर्भ उपलब्ध नहीं करा सकता किन्तु ऑनलाइन पत्रकारिता में मात्र एक हाइपरलिंक के द्वारा वह भी संभव है।
वेब पत्रकारिता को हम इंटरनेट पत्रकारिता, ऑनलाइन पत्रकारिता, सायबर पत्रकारिता आदि नाम से जानते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह कंप्यूटर और इंटरनेट के सहारे संचालित ऐसी पत्रकारिता है जो डिजिटल तंरगों के माध्यम से प्रदर्शित होती है और जिसकी पहुँच किसी एक पाठक, एक गाँव, एक प्रखंड, एक प्रदेश, एक देश तक नहीं बल्कि समूचे विश्व में है। वेब पत्रकारिता के पाठकों की संख्या को परिसीमित नहीं किया जा सकता तथा इसकी उपलब्धता भी सार्वत्रिक है। इसके लिए मात्र इंटरनेट और कंप्यूटर, लैपटॉप, पॉमटॉप या मोबाईल की ही जरूरत होती है। इंटरनेट के ऐसा माध्यम से वेब-मीडिया सर्वव्यापकता को भी चरितार्थ करती है जिसमें ख़बरें दिन के चौबीसों घंटे और हफ़्ते के सातों दिन उपलब्ध रहती हैं। वेब पत्रकारिता की विशिष्टता यह है कि इसमें उपलब्ध किसी दैनिक, साप्ताहिक, मासिक पत्र-पत्रिका को सुरक्षित रखने के लिए किसी अलमारी या लायब्रेरी की जरूरत नहीं होती। समाचार पत्रों और टेलिविज़न की तुलना में इंटरनेट पत्रकारिता की उम्र बहुत कम है लेकिन उसका विस्तार बहुत तेज़ी से हुआ है। ऑनलाइन पत्रकारिता में मल्टीमीडिया का प्रयोग होता है जिसमें, टैक्स्ट, ग्राफिक्स, ध्वनि, संगीत, गतिमान वीडियो, थ्री-डी एनीमेशन, रेडियो ब्रोडकास्टिंग प्रमुख हैं । परंपरागत प्रिंट मीडिया पाठकों को एक ही समय पर संपूर्ण संदर्भ उपलब्ध नहीं करा सकता किन्तु ऑनलाइन पत्रकारिता में मात्र एक हाइपरलिंक के द्वारा वह भी संभव है।
दुनिया जिस तरह से प्रौद्योगिकी केंद्रित होती जा रही है उसे देखकर कहा जा सकता है कि भविष्य में उसकी दिनचर्चा को कंप्यूटर और इंटरनेट जीवन-साथी की तरह संचालित करेंगे, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सूचना और संचार प्रिय दुनिया भविष्य में इंटरनेट आधारित पत्रकारिता पर अधिक विश्वास करेगी। पश्चिमी देश के परिदृश्य यही सिद्ध करते हैं जहाँ प्रिंट मीडिया का स्थान धीरे-धीरे इलेक्ट्रानिक मीडिया ने ले लिया और अब वहाँ वेब-मीडिया या ऑनलाइन मीडिया का बोलबाला है। 1970 – 1980 के दशक में जब कंप्यूटर का व्यापक प्रयोग होने लगा तब समाचार पत्र के उत्पादन विधि में परिवर्तन आने लगा। 1980 में अमेरिका के न्यूयार्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जनरल, डाव जोन्स ने अपने-अपने प्रिंट संस्करणों के साथ-साथ समाचारों का ऑनलाइन डेटाबेस रखना भी प्रारंभ किया। वेब-पत्रकारिता या ऑनलाइन पत्रकारिता को तब और गति मिली जब 1981 में टेंडी द्वारा लैटटॉप कंप्यूटर का विकास हुआ । इससे किसी एक जगह से ही समाचार संपादन, प्रेषण करने की समस्या समाप्त हो गई।
1983 में ऑनलाइन समाचार पत्रों के प्रचलन में क्रांतिकारी परिवर्तन आया जब अमेरिका के Knight-Ridder newspaper group ने AT&T के साथ मिलकर लोगों की माँग पर प्रायोगिक तौर पर उनके कंप्यूटर और टेलिविजन पर समाचार उपलब्ध कराने लगे । 90 के दशक तक संवाददाता कंप्यूटर, मॉडेम, इंटरनेट या सैटेलाइट का प्रयोग कर विश्व से कहीं भी तत्क्षण समाचार भेजने और प्रकाशित करने में सक्षम हो गए । 1998 में प्रतिदिन विश्व के लगभग 50 मिलियन लोग इंटरनेट का उपयोग किया करते थे। अमेरिका की टाइम मैग्जीन एकमात्र ऐसी पत्रिका थी जो 1994 में इंटरनेट पर प्रारंभ हुई । उसके बाद 450 पत्रिकाओं और समाचार पत्र प्रकाशनों ने इंटरनेट में स्वयं को प्रतिष्ठित किया । तब भी इंटरनेट पर कोई समाचार एंजेसी कार्यरत नहीं थी किन्तु एक अनुमान के अनुसार दिसम्बर 1998 के अंत तक 4700 मुद्रित समाचार पत्र इंटरनेट पर थे ।
भारत में वेब-पत्रकारिता का विकास
जहाँ तक भारत में वेब-पत्रकारिता के विकास का प्रश्न है तो उसे मात्र 20 वर्ष ही हुए हैं । भारत में इंटरनेट की सुविधा 1990 के मध्य में मिलने लगी। चैन्नई का ‘द हिन्दू’ पहला भारतीय अख़बार है जिसका इंटरनेट संस्करण 1995 को जारी हुआ लेकिन तीन वर्ष में 1998 तक लगभग 48 समाचार पत्र ऑनलाइन हो चुके थे । ये समाचार पत्र केवल अंग्रेजी में नहीं अपितु अन्य भारतीय भाषाओं जैसे हिंदी, मराठी, मलयालम, तमिल, गुजराती भाषा में थे । इस अनुक्रम में ब्लिट्ज, इंडिया टुडे, आउटलुक और द वीक भी इंटरनेट पर ऑनलाइन हो चुकी थीं । ऑनलाइन भारतीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं की पाठनीयता भारत से कहीं अधिक अमेरिका सहित अन्य देशों में है जहाँ भारतीय मूल के प्रवासी लोग रहते हैं या अस्थायी तौर पर रोजगार में संलग्न हैं।
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