संचार के 7Cs (7Cs of Communication)
मानव जीवन की अनिवार्य आवश्कताओं में सबसे प्रमुख है- 'संचार'। इसके अभाव में मानव जीवन पशु समतुल्य होता है। मानव कभी घर के अंदर, तो कभी घर के बाहर, कभी कार्यालय में, तो कभी दुकान में, कभी बस स्टैण्ड में, तो कभी चलती ट्रेन में, कभी परिजनों के साथ, तो कभी सहकर्मियों के साथ, कभी ग्राहकों के साथ, तो कभी वरिष्ठ अधिकारियों के साथ, कभी मौखिक, तो कभी लिखित, कभी शब्दों में, तो कभी संकेतों में संचार करता है। संचार विशेषज्ञ 'फ्रांसिस बेटजिन' ने प्रभावी संचार के लिए 7Cs को महत्वपूर्ण बताया है, जिसका उपयोग कर संचारक बड़े ही आसानी से प्रापक के मस्तिष्क में अपनी बात (संदेश) को पहुंचा सकता है। 7Cs से तात्पर्य है :-
1Cs : Clarity (स्पष्टता)
2Cs : Context (संदर्भ)
3Cs : Continuty (निरंतरता)
4Cs : Credibility (विश्वसनीयता)
5Cs : Content (विषय वस्तु)
6Cs : Channel (माध्यम)
7Cs : Completeness (पूर्णता)
- स्पष्टता : वह संदेश प्रापक को आसानी से समझ में आता है जिसमें स्पष्टता होती है। अत: सम्प्रेषण के लिए संदेश की संरचना सरल से सरल तथा सामान्य से सामान्य शब्दों में करना चाहिए। सरल व सामान्य शब्दों में सम्प्रेषित संदेश के अर्थो को समझने में प्रापक को परेशानी नहीं होती है। संचारक से प्रापक स्पष्ट शब्दों में संदेश सम्प्रेषित करने की अपेक्षा भी रखता है। यहीं कारण हैं कि उलझाऊ तथा मुहावरा युक्त संदेश को प्रापक नजर अंदाज कर देता है।
- संदर्भ : संदेश में संदर्भ का होना आवश्यक है, क्योंकि संदर्भ से स्वत: ही संदेश की विश्वसनीयता बढ़ जाती है। संदर्भ के कारण संदेश में गलती होने की संभावना कम होती है। यदि किसी कारण से गलती हो भी जाती है तो वह आसानी से पकड़ में आ जाती है। संदर्भ के कारण सम्बन्धित पक्ष की सहभागीता भी सिद्ध होती है।
- निरंतरता : संचार कभी समाप्त न होने वाली एक अनवरत् प्रक्रिया है, जिसके संदेश में एक साथ कई तथ्यों का समावेश होने की स्थिति में निरंतरता का होना आवश्यक है। यहां निरंतरता से तात्पर्य मुख्य तथ्य के बाद क्रमश: कम महत्वपूर्ण, उससे कम महत्वपूर्ण, सबसे कम महत्वपूर्ण तथा अंत में बगैर महत्व के तथ्य से है। प्रभावी संचार के लिए आदर्श संदेश वह होता है, जिसमें महत्वपूर्ण तथ्यों की पुनर्रावृत्ति होती है। इसका लाभ यह है कि यदि पहली बार में संचारक द्वारा सम्प्रेषित संदेश के अर्थ को किसी कारण से प्रापक समझ नहीं पता है तो दूसरी या तीसरी बार में अवश्य ही समझ लेता है।
- विश्वसनीयता : संचार प्रक्रिया का मूल आधार विश्वास है, जो संचारक की नियत पर निर्भर करता है। संदेश के विश्वसनीय होने पर प्रापक के मन में संचारक के प्रति अच्छी छवि बनती है। एक समय ऐसा भी आता है, जब संचारक द्वारा सम्प्रेषित संदेश की गारंटी प्रापक स्वयं दूसरों को देने लगता है। इस दृष्टि से खरा न उतरने वाले संचारकों को प्रापक शीघ्र ही नजर अंदाज करने लगते हैं। अत: प्रभावी संचार के लिए संदेश में विश्वसनीयता का होना आवश्यक है।
- विषय वस्तु : प्रापकों का निर्धारण संदेश की विषय वस्तु के आधार पर भी किया जाता है। अत: आदर्श संदेश की विषय वस्तु प्रापकों की स्थिति, कला, संस्कृति आदि के अनुरूप तैयार करना चाहिये। इससे संचारक के प्रति प्रापक का विश्वास बढ़ता है।
- माध्यम : संचार प्रक्रिया में माध्यम की भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि परिस्थिति, प्रापक और संदेश के अनुसार माध्यम की प्रभावशीलता घटती-बढ़ती रहती है। अत: प्रभावी संचार के लिए माध्यम का चुनाव संदेश और प्रापक की स्थिति को ध्यान में रखकर करना आवश्यक है। संचारक को ऐसे माध्यम का चुनाव करना चाहिए, जिसकी प्रापक के बीच पहुंच होने के साथ-साथ लोकप्रियता भी हो। नये माध्यमों का चुनाव काफी सोच-विचार कर करना चाहिए। कई बार नये संचार माध्यम अप्रभावी साबित होते हैं।
- पूर्णता : प्रभावी संचार के लिए संदेश में पूर्णता का होना आवश्यक है। यहां पूर्णता से तात्पर्य सम्पूर्ण जानकारी से है। जिस संदेश में पूर्ण या सम्पूर्ण जानकारी होती है, उसे ग्रहण करने के उपरांत प्रापक आत्म-संतोष महसूस करते हैं।
18 comments:
Ty
सराहनीय कार्य , तहे दिलो से आभार आपका
जय हिंद
It's too good
Hindi mai notes k liye thankyou so much ..Aise both s topic hai like action theory ..paragmatic theory vi define kr share kre hindi mai
Thnq so muchb😊
Thnku thnku so much...☺😊😉
बहुत ही सारगर्भित तरीके से बताया है सर! धान्यवाद
Badhiya
Aap ese hi or communication ke abhi topic hindi me uplabdh krvao please
Thanks this is very important to me
Gjb
बहुत बहुत धन्यवाद ,सच में तनाव दूर हो चुका है
Super
Bahut hi sundar
praveen kumar
male
praveen kumar
male
Nitin
Shigh
Nitin a
Ahirwar
Tq 🙏🏻
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