वेब
पत्रकारिता लेखन व भाषा
वेब पत्रकारिता, प्रकाशन और प्रसारण की भाषा में आधारभूत अंतर है। प्रसारण व वेब-पत्रकारिता की भाषा में कुछ समानताएं हैं। रेडियो/ टीवी प्रसारणों में भी साहित्यिक भाषा, जटिल व लंबे शब्दों से बचा जाता है। आप किसी प्रसारण में, 'हेतु, प्रकाशनाधीन, प्रकाशनार्थ, किंचित, कदापि, यथोचित इत्यादि' जैसे शब्दों का उपयोग नहीं पाएँगे। कारण? प्रसारण ऐसे शब्दों से बचने का प्रयास करते हैं जो उच्चारण की दृष्टि से असहज हों या जन-साधारण की समझ में न आएं। ठीक वैसे ही वेब-पत्रिकारिता की भाषा भी सहज-सरल होती है।
वेब पत्रकारिता, प्रकाशन और प्रसारण की भाषा में आधारभूत अंतर है। प्रसारण व वेब-पत्रकारिता की भाषा में कुछ समानताएं हैं। रेडियो/ टीवी प्रसारणों में भी साहित्यिक भाषा, जटिल व लंबे शब्दों से बचा जाता है। आप किसी प्रसारण में, 'हेतु, प्रकाशनाधीन, प्रकाशनार्थ, किंचित, कदापि, यथोचित इत्यादि' जैसे शब्दों का उपयोग नहीं पाएँगे। कारण? प्रसारण ऐसे शब्दों से बचने का प्रयास करते हैं जो उच्चारण की दृष्टि से असहज हों या जन-साधारण की समझ में न आएं। ठीक वैसे ही वेब-पत्रिकारिता की भाषा भी सहज-सरल होती है।
वेब
का हिंदी पाठक-वर्ग आरंभिक दौर में अधिकतर ऐसे लोग थे जो वेब पर अपनी भाषा पढ़ना
चाहते थे,
कुछ ऐसे लोग थे जो विदेशों में बसे हुए थे किंतु अपनी भाषा से जुड़े
रहना चाहते थे या कुछ ऐसे लोग जिन्हें किंहीं कारणों से हिंदी सामग्री उपलब्ध नहीं
थी जिसके कारण वे किसी भी तरह की हिंदी सामग्री पढ़ने के लिए तैयार थे। आज
परिस्थितिएं बदल गई हैं मुख्यधारा वाला मीडिया ऑनलाइन उपलब्ध है और पाठक के पास
सामग्री चयनित करने का विकल्प है।
इंटरनेट
का पाठक अधिकतर जल्दी में होता है और उसे बांधे रखने के लिए आपकी सामग्री पठनीय, रूचिकर व आकर्षक हो यह बहुत आवश्यक है। यदि हम ऑनलाइन समाचार-पत्र की बात
करें तो भाषा सरल, छोटे वाक्य व पैराग्राफ भी अधिक लंबे नहीं
होने चाहिए।
विशुद्ध साहित्यिक रुचि रखने वाले लोग भी अब वेब पाठक हैं और वे वेब पर लंबी कहानियां व साहित्य पढ़ते हैं। उनकी सुविधा को देखते हुए भविष्य में साहित्य डॉउनलोड करने का प्रावधान अधिक उपयोग किया जाएगा ऐसी प्रबल संभावना है। साहित्य की वेबसाइटें स्तरीय साहित्य का प्रकाशन कर रही हैं और वे निःसंदेह साहित्यिक भाषा का उपयोग कर रही हैं लेकिन उनके पास ऐसा पाठक वर्ग तैयार हो चुका है जो साहित्यिक भाषा को वरियता देता है।
विशुद्ध साहित्यिक रुचि रखने वाले लोग भी अब वेब पाठक हैं और वे वेब पर लंबी कहानियां व साहित्य पढ़ते हैं। उनकी सुविधा को देखते हुए भविष्य में साहित्य डॉउनलोड करने का प्रावधान अधिक उपयोग किया जाएगा ऐसी प्रबल संभावना है। साहित्य की वेबसाइटें स्तरीय साहित्य का प्रकाशन कर रही हैं और वे निःसंदेह साहित्यिक भाषा का उपयोग कर रही हैं लेकिन उनके पास ऐसा पाठक वर्ग तैयार हो चुका है जो साहित्यिक भाषा को वरियता देता है।
सामान्य
वेबसाइट के पाठक जटिल शब्दों के प्रयोग व साहित्यिक
भाषा से दूर भागते हैं, वे आम बोल-चाल की भाषा अधिक पसंद करते हैं अन्यथा वे एक-आध
मिनट ही साइट पर रूककर साइट से बाहर चले जाते हैं।
सामान्य पाठक-वर्ग को बाँधे रखने के लिए आवश्यक है कि साइट का रूप-रंग आकर्षक हो, छायाचित्र व ग्राफ्किस अर्थपूर्ण हों, वाक्य और पैराग्राफ़ छोटे हों, भाषा सहज व सरल हो। भाषा खीचड़ी न हो लेकिन यदि उर्दू या अंग्रेज़ी के प्रचलित शब्दों का उपयोग करना पड़े तो इसमें कोई बुरी बात न होगी। भाषा सहज होनी चाहिए शब्दों का ठूंसा जाना किसी भी लेखन को अप्रिय बना देता है।
सामान्य पाठक-वर्ग को बाँधे रखने के लिए आवश्यक है कि साइट का रूप-रंग आकर्षक हो, छायाचित्र व ग्राफ्किस अर्थपूर्ण हों, वाक्य और पैराग्राफ़ छोटे हों, भाषा सहज व सरल हो। भाषा खीचड़ी न हो लेकिन यदि उर्दू या अंग्रेज़ी के प्रचलित शब्दों का उपयोग करना पड़े तो इसमें कोई बुरी बात न होगी। भाषा सहज होनी चाहिए शब्दों का ठूंसा जाना किसी भी लेखन को अप्रिय बना देता है।
इंटरनेट
के प्रचार-प्रसार और निरंतर तकनीकी विकास ने एक ऐसी वेब मीडिया को जन्म दिया, जहाँ अभिव्यक्ति के पाठ्य, दृश्य, श्रव्य एवं दृश्य-श्रव्य सभी रूपों का एक साथ क्षणमात्र में प्रसारण संभव
हुआ। यह वेब मीडिया ही ‘न्यू मीडिया’ है,
जो एक कंपोजिट मीडिया है, जहाँ संपूर्ण और
तत्काल अभिव्यक्ति संभव है, जहाँ एक शीर्षक अथवा विषय पर
उपलब्ध सभी अभिव्यक्तियों की एक साथ जानकारी प्राप्त करना संभव है, जहाँ किसी अभिव्यक्ति पर तत्काल प्रतिक्रिया देना ही संभव नहीं, बल्कि उस अभिव्यक्ति को उस पर प्राप्त सभी प्रतिक्रियाओं के साथ एक जगह
साथ-साथ देख पाना भी संभव है। इतना ही नहीं, यह मीडिया
लोकतंत्र में नागरिकों के वोट के अधिकार के समान ही हरेक व्यक्ति की भागीदारी के
लिए हर क्षण उपलब्ध और खुली हुई है।
इंटरनेट पत्रकारिता के उपकरण-
वेब पत्रकारिता प्रिंट और इलेक्ट्रानिक माध्यम की पत्रकारिता से भिन्न है । वेब पत्रकारिता के लिए लेखन की समस्त दक्षता के साथ-साथ कंप्यूटर और इंटरनेट की बुनियादी ज्ञान के अलावा कुछ आवश्यक सॉफ्टवेयरों के संचालन में प्रवीणता भी आवश्यक है जैसेः-
1। प्रिंटिग एवं पब्लिशिंग टूल्स - पेजमेकर, क्वार्क एक्सप्रेस, एमएमऑफिस आदि ।
2। ग्राफिक टूल्स - कोरल ड्रा, एनिमेशन, फ्लैश, एडोब फोटोशॉप आदि ।
3। सामग्री प्रबंधन टूल्स – एचटीएमएल, फ्रंटपेज, ड्रीमवीवर, जूमला, द्रुपल, लेन्या, मेम्बू, प्लोन, सिल्वा, स्लेस, ब्लॉग, पोडकॉस्ट, यू ट्यूब आदि।
4। मल्टीमीडिया टूल्स- विंडो मीडिया प्लेयर, रियल प्लेयर, आदि ।
5। अन्य टूल्स- ई-मेलिंग, सर्च इंजन, आरएसएस फीड, विकि टेकनीक, मैसेन्जर, विडियो कांफ्रेसिंग, चेंटिंग, डिस्कशन फोरम ।
वेब पत्रकारिता में सामग्री
भारत के इंटरनेट समाचार पत्र मुख्यतः अपने मुद्रित संस्करणों की सामग्री यथा लिखित सामग्री और फोटो ही उपयोग लाते हैं।
ऑनलाइन समाचार पत्रों का ले आउट मुद्रित संस्करणों की तरह नहीं होता है, मुद्रित संस्करणों की सामग्री 8 कॉलमों में होती हैं । ऑनलाइन पत्र की सामग्री कई रूपो में होती हैं । इसमें एक मुख्य पृष्ठ होता है जो कंप्यूटर के मॉनीटर में प्रदर्शित होता है जहाँ विविध खंडों में सामग्री के मुख्य शीर्षक हुआ करते हैं । इसके अलावा प्रमुख समाचारों और मुख्य विज्ञापनों को भी मुख्य पृष्ठ में रखा जाता है जिन्हें क्लिक करने पर उस समाचार, फोटो, फीचर, ध्वनि या दृश्य का लिंक किया हुआ पृष्ठ खुलता है और तब पाठक उसे विस्तृत रूप में पढ़, देख या सुन सकता है। समाचार सामग्री को वर्गीकृत करने वाले मुख्य शीर्षकों का समूह अधिकांशतः हर पृष्ठों में हुआ करते हैं । ये शीर्षक समाचारों के स्थान, प्रकृति इत्यादि के आधार पर हुआ करते हैं जैसे विश्व, देश, क्षेत्रीय, शहर अथवा राजनीति, समाज, खेल, स्वास्थ्य, मनोरंजन, लोकरूचि, प्रौद्योगिकी आदि। ये सभी अन्य पृष्ठ या वेबसाइट से लिंक्ड रहते हैं। इस तरह से एक पाठक केवल अपनी इच्छानुसार ही संबंधित सामग्री का उपयोग कर सकता है। पाठक एक ई-मेल या संबंधित साइट में ही उपलब्ध प्रतिक्रिया देने की तकनीकी सुविधा का उपयोग कर सकता है। वांछित विज्ञापन के बारे में विस्तृत जानकारी भी पाठक उसी समय जान सकता है जबकि एक मुद्रित संस्करण में यह असंभव होता है। इस तरह से ऑनलाइन संस्करणों में ऑनलाइन शापिंग का भी रास्ता है। मुद्रित संस्करणों में पृष्ठों की संख्या नियत और सीमित हुआ करती है जबकि ऑनलाइन संस्करणों में लेखन सामग्री और ग्राफिक्स की सीमा नहीं होती है। ऑनलाइन पत्रों की एक विशेषता यह भी है कि उसके पाठकों की संख्या यानी रीडरशिप उसी क्षण जानी जा सकती है ।
वेब-पत्रकारिता का सामान्य वर्गीकरण
इंटरनेट अब दूरस्थ पाठकों के लिए समाचार प्राप्ति का सबसे प्रमुख माध्यम बन चुका है। वर्तमान समय में इंटरनेट आधारित पत्र-पत्रिकाओं की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है । इसमें दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक,मासिक, त्रैमासिक सभी तरह की आवृत्तियों वाले समाचार पत्र और पत्रिकाएं शामिल हैं ।
विषय वस्तु की दृष्टि से इन्हें हम समाचार प्रधान, शैक्षिक, राजनैतिक, आर्थिक आदि केंद्रित मान सकते हैं। यद्यपि इंटरनेट पर ऑनलाइन सुविधा के कारण स्थानीयता का कोई मतलब नहीं रहा है किन्तु समाचारों की महत्ता और प्रांसगिकता के आधार पर वर्गीकरण करें तो ऑनलाइन पत्रकारिता को भी हम स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर देख सकते हैं । जैसे नोएडा के ग्रेनो न्यूज डॉट कॉम को स्थानीय, दैनिक छत्तीसगढ़ डॉट कॉम को प्रादेशिक, नवभारत टाइम्स डॉट कॉम को राष्ट्रीय और बीबीसी डॉट कॉम, डॉट काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन समाचार पत्र मान सकते हैं ।
6 comments:
बहुत अच्छी पोस्ट है. शुक्रिया.
Nice he
आपकी पोस्ट हमें फाइनल एग्जाम के लिए काफी मददगार साबित होगी सर ।
बहूत बहुत धन्यवाद ।
भैय्या पेपर की तैयारी हो गई ...
वेब पत्रकारिता का नोटस पोस्ट करने पर मुझे बहुत मदद मिल गया सर जी ,धन्यवाद सर जी
Should we write this topic on sahitya web patrakarika project?
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