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Wednesday, 16 March 2016

टाइपिंग


कम्प्यूटर पर टाइपिंग दो प्रकार की होती है-
नॉन-यूनिकोड (ग़ैर-यूनिकोड)
यूनिकोड

नॉन-यूनिकोड
यह विधि कम्प्यूटर पर यूनिकोड प्रणाली के आने से पहले प्रयोग की जाती थी। इसमें पुराने समय के हिन्दी फॉण्ट प्रयोग किये जाते थे। इस टाइपिंग का उपयोग सिर्फ छपाई आदि के कामों में ही होता है। किसी वर्ड प्रोसैसर में हिन्दी का नॉन-यूनिको़ड फॉण्ट चुनकर टाइप किया जाता है तथा उसका प्रिण्ट लिया जा सकता है। किसी अन्य कम्प्यूटर पर वह टैक्स्ट दिखने के लिये वह विशेष फॉण्ट इंस्टाल होना चाहिये अन्यथा हिन्दी टैक्स्ट की जगह सिर्फ कचरा (जंक टेक्स्ट) दिखता है।

कमियाँ
इस तरीके से सिर्फ छपाई के लिये हिन्दी टाइप की जा सकती है तथा कम्प्यूटर पर अन्य जगहों पर हिन्दी का प्रयोग नहीं हो सकता।
हर नॉन-यूनिकोड फॉण्ट का कीबोर्ड लेआउट अलग-अलग होता है। माना आपको कृतिदेव का अभ्यास है तो आप सुशा में टाइप नहीं कर सकते।

यूनिकोड
यूनिकोड हिन्दी टाइपिंग की नई विधि है। यूनिकोड की विशेषता है कि यह फॉण्ट एवं कीबोर्ड लेआउटों पर निर्भर नहीं करती। आप किसी भी यूनिकोड फॉण्ट एवं किसी भी कीबोर्ड लेआउट का प्रयोग करके हिन्दी टाइप कर सकते हैं। यूनिकोड फॉण्ट में लिखी हिन्दी देखने के लिये उस फॉण्ट विशेष का कम्प्यूटर में होना जरुरी नहीं है। किसी भी यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट के होने पर हिन्दी देखी जा सकती है। अधिकतर नये ऑपरेटिंग सिस्टमों में यूनिकोड हिन्दी फॉण्ट बना-बनाया आता है।

खूबियाँ
अंग्रेजी की तरह कम्प्यूटर पर सब जगह चलती है। आप इसे किसी वर्ड प्रोसैसर में, ईमेल में, वैबसाइट पर, मैसेन्जर आदि जगहों पर कहीं भी लिख सकते हैं।
फॉण्ट के झमेले से मुक्त है। किसी भी यूनिकोड श्रेणी के फॉण्ट से लिख एवं पढ़ सकते हैं।
कीबोर्ड लेआउट के झमेले से मुक्त है। उपयुक्त टूल का प्रयोग करके किसी भी कीबोर्ड लेआउट द्वारा हिन्दी लिखी जा सकती है।

कमियाँ
कुछ सॉफ्टवेयरों एवं वेब सेवाओं में हिन्दी का समर्थन न होने से हिन्दी कभी-कभी हिन्दी दिखती ही नहीं या फिर सही नहीं दिखाई देती है। 

हिन्दी के कीबोर्ड लेआउट
वैसे तो हिन्दी के लिये बहुत से कीबोर्ड लेआउट प्रचलित हैं परन्तु मुख्य तीन हैं:-
इनस्क्रिप्ट - हिन्दी का मानक कीबोर्ड लेआउट।
रेमिंगटन - मैकेनिकल टाइपराइटर का कीबोर्ड लेआउट।
फोनेटिक - ध्वन्यात्मक लिप्यन्तरण आधारित कीबोर्ड लेआउट। इसकी कोई मानक लिप्यंतरण स्कीम नहीं होती। अलग-अलग टूल में अलग-अलग स्कीम प्रयोग होती है।

हिन्दी टाइपिंग विधियाँ

टच टाइपिंग
टच टाइपिंग से आशय होता है बिना कीबोर्ड को देखे केवल छूकर टाइप करना। हिन्दी में मूल रुप से इनस्क्रिप्ट एवं रेमिंगटन टच टाइपिंग प्रणालियाँ हैं। फोनेटिक मूल रुप से टच टाइपिंग प्रणाली नहीं है लेकिन यदि अंग्रेजी की क्वर्टी टच टाइपिंग का अभ्यास हो तो फोनेटिक को भी बिना देखे टाइप किया जा सकता है।

साइट टाइपिंग
साइट टाइपिंग से आशय है कि कुञ्जियों को देख-देखकर टाइप करना। हिन्दी में साइट टाइपिंग के लिये देवनागरी वर्ण अंकित इनस्क्रिप्ट लेआउट के कीबोर्ड उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त इनस्क्रिप्ट लेआउट के स्टीकर भी मिलते हैं जिन्हें मौजूदा कीबोर्ड पर चिपकाया जा सकता है। इनस्क्रिप्ट लेआउट में वर्ण विशेष क्रम में होते हैं इसलिये ये टच और साइट दोनों प्रकार की टाइपिंग के लिये उपयुक्त होता है।

दूसरी विधि फोनेटिक में यद्दपि देख-देखकर ही टाइप किया जाता है लेकिन वह सही रुप में साइट टाइपिंग भी नहीं है क्योंकि देवनागरी के बजाय अंग्रेजी के वर्णों को टाइप करके हिन्दी लिखी जाती है। रेमिंगटन साइट टाइपिंग के लिये कतई उपयुक्त नहीं क्योंकि इसका लेआउट काफी कठिन होता है और वर्णों को ढूंढना बहुत मुश्किल होता है।

कंप्यूटर ग्राफिक्स


कंप्यूटर ग्राफिक्स कंप्यूटर के सहयोग से सृजित ग्राफिक्स यानि रेखाचित्र होते हैं। इनमें अधिकांशतः चित्र डाटा का कंप्यूटर के द्वारा प्रदर्शन और परिवर्तन किया गया होता है। कंप्यूटर ग्राफ़िक्स के विकास से कंप्यूटरों के कई प्रकार के डाटा को समझने, भाषांतर करने और प्रयोग करने के अनुभव बढ़े हैं। कंप्यूटर ग्राफ़िक्स के क्षेत्र में विकास के साथ एनिमेशन, मूवीज़ और वीडियो खेलों में बहुत बड़ी प्रगति हुई है।

आज हर घर में अपनी जगह बना चुका कंप्यूटर शायद इतना उपयोगी और लोकप्रिय नहीं हो पाता यदि कंप्यूटर ग्राफिक्स की दुनिया में इतने सारे नए प्रयोग देखने को नहीं मिले होते। यह टॉपिक कंप्यूटर कोर्सेज का भी एक अहम हिस्सा होता है और करियर के लिहाज़ से भी यह हॉट च्वॉइस रहता है।

एक से बढ़ कर एक कंप्यूटर गेम्स के रोमांच का मज़ा लेने से लेकर कंप्यूटर पर एनिमेटेड मूवीज़ का लुत्फ उठाना इतना मज़ेदार और आसान नहीं होता यदि ग्राफिक्स में दिन प्रतिदिन नई हलचलें नहीं मचती। आजकल सभी सॉफ्टवेयर जीयूआई आधारित होते हैं जिस कारण इन्हें उपयोग करना काफी आसान हो जाता है। इंटरफेस के रूप में यहां मेन्यू, आइकॉन आदि का उपयोग किया जाता है, जो काफी सुविधाजनक और फास्ट होता है। वास्तव में यह सब ग्राफिक्स का ही तो खेल होता है।

कंप्यूटर के द्वारा बनाए जाने वाले ग्राफिक्स कंप्यूटर ग्राफिक्स कहलाते हैं। इसे इस प्रकार से भी कहा जा सकता है कि कंप्यूटर द्वारा इमेज डाटा को जब रिप्रजेंट और मैनिपुलेट किया जाए तो उसे ग्राफिक्स कहते हैं। एनिमेशन, मूवीज़, गेम्स इंडस्ट्रीज़ आदि में इसका खूब प्रभाव पड़ा है। कंप्यूटर द्वारा जब डाटा का पिक्टोरियल रिप्रेजंटेशन और मैनिपुलेशन किया जाता है तो उसे हम ग्राफिक्स कह सकते हैं। कंप्यूटर ग्राफिक्स कंप्यूटर साइंस का एक फील्ड है, जिसके अंतर्गत हम विजुअल कंटेंट को मेनिपुलेट और डिजिटली सिनथेसाइजिंग करने के विधि के बारे में पढ़ते हैं।
एनिमेशन भी कंप्यूटर ग्राफिक्स के अंतर्गत ही आता है। एनिमेशन वास्तव में कंप्यूटर की सहायता से मूविंग इमेज (चलती-फिरती पिक्चर) बनाने की कला है। आपको राज़ की बात बताते हैं कि जब भी आप ऐसे एनिमेटिड इमेज देखें तो यह मत सोचिए कि वास्तव में यह चलती फिरती इमेज है। दरअसल होता यह है कि जब स्क्रीन पर कोई इमेज दिखती है तो बहुत जल्द उसी तरह की दूसरी इमेज पहले वाले इमेज को रिप्लेस करती रहती है। यह प्रक्रिया इतनी तेज़ी से होती है कि हम समझ बैठते हैं कि इमेज मूवमेंट कर रही है, जबकि वास्तव में एक इमेज दूसरे इमेज को इसके थोड़े आगे-आगे रिप्लेस करती रहती है।

एप्लीकेशन एरिया : एजुकेशन, साइमुलेशन, ग्राफ रिप्रेजंटेशन, इंजीनियरिंग, मेडिसिन, इंडस्ट्री, आर्ट, एंटरटेनमेंट आदि सभी क्षेत्रों में कंप्यूटर ग्राफिक्स का बोलबाला है। कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन द्वारा इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर में ग्राफिक्स का खुब इस्तेमाल किया जाता है। फाइन आर्ट, कमर्शियल आर्ट एप्लीकेशंस में भी इसका उपयोग किया जाता है। टेलीविज़न शोज़, म्यूज़िक वीडियो, मोशन पिक्चर्स आदि में भी ग्राफिक्स का ही कमला रहता है।

ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर : ग्राफिक्स के लिए उपलब्ध सॉफ्टवेयर को आमतौर पर दो भागों में रखा जाता है-जनरल प्रोग्रामिंग पैकेज और स्पेशल परपज एप्लीकेशंस पैकेज। जनरल प्रोग्रामिंग पैकेज सॉफ्टवेयर में कई ग्राफिक्स फंक्शंस होते हैं, जो हाई-लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेजों में उपयोग किए जाते हैं। इन फंक्शंस द्वारा पिक्चर कंपोनेंट्स डिज़ाइन किए जाते हैं। स्पेशल एप्लीकेशंस पैकेज आमतौर पर उनके लिए हैं, जो कंप्यूटर एक्सपर्ट तो नहीं होते, फिर भी डिस्प्ले जेनरेट कर सकते हैं। 3D Max. Aladdom 4 D,Cinema 4D, Maya, Modo आदि ग्राफिक्स सॉफ्टवेयर्स हैं।

क्या है ग्राफिक डिजाइनिंग
ग्राफिक डिजाइनिंग में मूल रुप सें विजुअल सें संबंधित समस्याओं को हल करा जाता है। इसमें टेक्स्ट और ग्राफिकल एलिमेंट का प्रयोग किया जाता है। इसका मुख्य कार्य पेज एवं अन्य पोग्राम को आकर्षक और सुंदर बनाने का होता है।
सही माएनों में ग्राफिक डिजाइन वह आर्ट है जिसमें टेक्स्ट और ग्राफिक के द्वारा किसी संदेश को लोगो तक प्रभावी तरीके से पहुंचाया जाता है। ये संदेश ग्राफिक्स, लोगो, ब्रोशर, न्यूज लेटर,पोस्टर या फिर किसी भी रुप में हो सकते हैं।

संभावनाएँ
करियर विशेषज्ञों के अनुसार इस क्षेत्र में स्‍कि‍ल्‍ड लोगों की बेहद माँग है। विज्ञापन एजेंसी, पब्लिक रिलेशन, न्यूज पेपर, मैगजीन, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि क्षेत्रों इस कोर्स को करने के बाद रोजगार के अच्छे अवसर प्राप्त हो जाते हैं। यदि आपके अंदर योग्यता है तो रोजगार जरुर मिलेगा। देश मे बैठ कर भी लोग विदेशी कम्पनियों के लिए काम करके अच्छे पैसे कमा सकते हैं। ये लोग इटंरनेट के जरिये अपने काम को अजांम देते हैं।
न्यूजपेपर व टीवी चैनलों की बढ़ती संख्या ने भी इस क्षेत्र में आने वाले युवाओं के लिए रोजगार के कई दरवाजे खोल दिए हैं। स्टेश्नरी प्रिटिंग, इंटीरियर आर्किटेकचर, प्रोडक्ट पैकेज डिजाइनिंग, एनिमेशन आदि में रोजगार के अवसर मौजूद हैं। इस क्षेत्र में शुरुआती दौर से ही अच्छा वेतन मिलने लगता है। एक बार अनुभव हो जाने पर अच्छा डिजाइनर एक से डेढ़ लाख रुपय तक कमा लेता है।
कम्प्यूटर, मोबाइल एवं अन्य कम्प्यटिंग डिवाइसों पर हिन्दी में टाइप करने के लिये विविध तरीके प्रयोग किये जाते हैं। इनमें विविध प्रकार की टाइपिंग, विविध प्रकार के कीबोर्ड एवं सॉफ्टवेयर शामिल हैं।