पत्रकारिता की आचार संहिता
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समाचार देते समय
पत्रकार न्यायनिष्ट रहें।
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जातीय,
धार्मिक और आर्थिक मामलों पर लिखते समय विशेष सावधानी और निष्पक्षता
बरती जाये
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समाचारों में
तथ्यों को तोडा मरोड़ा न जाये न कोई सूचना छिपायी जाये।
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व्यावसायिक
गोपनीयता का निष्ठा से अनुपालन
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पत्रकारिता के
माध्यम से व्यक्तिगत हितों का पोषण न करें।
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पत्रकार अपने पद
और पहुंच का उपयोग गैर पत्रकारीय कार्यो के लिए न करें।
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रिश्वत लेकर
समाचार छापना या न छापना अवांछनीय, अमर्यादित
और अनैतिक है।
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किसी के व्यक्तिगत
जीवन के बारे में अफवाह फैलाने के लिए पत्रकारिता का उपयोग नहीं किया जाये। यह
पत्रकारिता की मर्यादा के खिलाफ है। अगर ऐसा समाचार छापने के लिए जनदबाव हो तो भी
पत्रकार पर्याप्त संतुलित रहे।
कुछ साल पहले राष्ट्रपति एपीजे
अव्दुल कलाम के हस्ताक्षर से एडीटर्स गिल्ड आफ इंडिया ने एक पत्रकार व्यवहार
संहिता भी जारी की थी। इसमें भी काफी मनन के बाद कई बिंदुओं को शामिल किया गया था।
कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं-
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पर्याप्त समय सीमा
के तहत पीड़ित पक्ष को अपना जवाब देने या खंडन करने का मौका दें।
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किसी व्यक्ति के
निजी मामले को अनावश्यक प्रचार देने से बचें।
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किसी खबर में
लोगों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए उसमें अतिश्योक्ती से बचें।
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निजी दुख वाले
दृश्यों से संबंधित खबरों को मानवीय हित के नाम पर आंख मूंद कर न परोसा जाये।मानवाधिकार और निजी भावनाओं की गोपनीयता का भी उतना ही महत्व है।
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धार्मिक विवादों
पर लिखते समय सभी संप्रदायों और समुदायों को समान आदर दिया जाना चाहिए।
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अपराध मामलो में
विशेषकर सेक्स और बच्चों से संबंधित मामले में यह देखना जरूरी है कि कहीं रिपोर्ट
ही अपने आप में सजा न बन जाये और किसी जीवन को अनावश्यक बर्बाद न कर दे।
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चोरी छिपे सुनकर
(और फोटो लेकर) किसी यंत्र का सहारा लेकर ,किसी
के निजी टेलीफोन पर बातचीत को पकड़ कर ,अपनी पहचान छिपा कर
या चालबाजी से सूचनाएं प्राप्त नहीं की जायें। सिर्फ जनहित के मामले में ही जब ऐसा
करना उचित है और सूचना प्राप्त करने का कोई और विकल्प न बचा हो तो ऐसा किया जाये।
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