सबसे अधिक पढ़ी गई पोस्ट

Wednesday, 25 February 2015

वेब पत्रकारिता




वेब पत्रकारिता को हम इंटरनेट पत्रकारिता, ऑनलाइन पत्रकारिता, सायबर पत्रकारिता आदि नाम से जानते हैं. जैसा कि वेब पत्रकारिता नाम से स्पष्ट है यह कंप्यूटर और इंटरनेट के सहारे संचालित ऐसी पत्रकारिता है जिसकी पहुँच किसी एक पाठक, एक गाँव, एक प्रखंड, एक प्रदेश, एक देश तक नहीं बल्कि समूचा विश्व है और जो डिजिटल तंरगों के माध्यम से प्रदर्शित होती है. भारत में बढ़ते संचार साधनों से पत्रकारिता के क्षेत्र में भी करियर के अवसर उजले हुए हैं. दिनोदिन समाचार चैनलों, अखबारों की संख्या बढ़ती जा रही है.
 
पत्रकारित्रा पहले जहां अखबारों, पुस्तकों में हुआ करती थी, वहीं इंटरनेट के बढ़ते प्रचलन के बीच वेब पत्रकारिता का जन्म हुआ. इंटरनेट बढ़ते समाचार पोर्टलों से वेब पत्रकारिता में योग्य पत्रकारों की मांग बनी रहती है.

जिस प्रकार अखबारों, पत्रिकाओं में खबरों के चयन, संपादन या लेखक होते हैं. यही कार्य इंटरनेट पर किया जाता है. हर व्यक्ति तेजी से खबरें चाहता है. युवाओं की भी पसंद इंटरनेट बनता जा रहा है.

पहले जहां इंटरनेट कम्प्यूटर तक सीमित था, वहीं नई तकनीकों से लैस मोबाइलों में भी इंटरनेट का चलन बढ़ता जा रहा. किसी भी जगह कहीं भी इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकता है. यह वेब पत्रकारिता का ही कमाल है कि आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर किसी भी भाषा में किसी भी देश का अखबार या खबरें पढ़ सकते हैं. यहां कार्य में भी तेजी होनी चाहिए. खबर लिखकर उसका संपादन ही नहीं, बल्कि लगातार उसे अपडेट भी करना पड़ता है.

वेब पत्रकारिता में बहुत अधिक संभावनाएं हैं. इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए खबरों को समझकर उन्हें प्रस्तुत करने की कला, तकनीकी ज्ञान, भाषा पर अच्छी पकड़ होना आवश्यक है. न्यूज पोर्टल के रूप में स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली साइटों की संख्या भारत में कम हैं.
ऐसी साइटों की संख्या ज्यादा है जो अपने वेब के लिए सामग्री अपने चैनलों या अखबारों से लेती हैं. स्वतंत्र न्यूज पोर्टल में वेब पत्रकार बनकर आप करियर बना सकते हैं. खेल, साहित्य, कला जैसी साइटों पर करियर की उज्जवल संभावनाएं रहती हैं. मास कम्यूनिकेशन या जर्नलिज्म में डिप्लोमा या डिग्री लेकर आप इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं.

प्रिंट मीडिया से यह इस रूप में भी भिन्न है क्योंकि इसके पाठकों की संख्या को परिसीमित नहीं किया जा सकता. इसकी उपलब्धता भी सार्वत्रिक है. इसके लिए मात्र इंटरनेट और कंप्यूटर, लैपटॉप, पॉमटॉप या अब मोबाईल की ही जरूरत होती है. इंटरनेट के ऐसा माध्यम से वेब-मीडिया सर्वव्यापकता को भी चरितार्थ करती है जिसमें ख़बरें दिन के चौबीसों घंटे और हफ़्ते के सातों दिन उपलब्ध रहती हैं. वेब पत्रकारिता की सबसे खासियत है उसका वेब यानी तंरगों पर घर होना. अर्थात् इसमें उपलब्ध किसी दैनिक, साप्ताहिक, मासिक पत्र-पत्रिका को सुरक्षित रखने के लिए किसी किसी आलमीरा या लायब्रेरी की जरूरत नहीं होती. समाचार पत्रों और टेलिविज़न की तुलना में इंटरनेट पत्रकारिता की उम्र बहुत कम है लेकिन उसका विस्तार तेज़ी से हुआ है. वाले दिनों में इसका विस्तार बेतार पत्रकारिता यानी वायरलेस पत्रकारिता में होगा जिसकी पहल कुछ मोबाइल कंपनियों द्वारा शुरू भी की जा चुकी है. वेब मीडिया या ऑनलाइन जर्नलिज्म परंपरागत पत्रकारिता से इन अर्थों में भिन्न है उसका सारा कारोबार ऑनलाइन यानी रियल टाइम होता है. ऑनलाइन पत्रकारिता में समय की भारी बचत होती है क्योंकि इसमें समाचार या पाठ्य सामग्री निरंतर अपडेट होती रहती है. इसमें एक साथ टेलिग्राफ़, टेलिविजन, टेलिटाइप और रेडियो आदि की तकनीकी दक्षता का उपयोग सम्भव होता है.

आर्काइव में पुरानी चीजें यथा मुद्रण सामग्री, फिल्म, आडियो जमा होती रहती हैं जिसे जब कभी सुविधानुसार पढ़ा जा सकता है. ऑनलाइन पत्रकारिता में मल्टीमीडिया का प्रयोग होता है जिसमें, टैक्स्ट, ग्राफिक्स, ध्वनि, संगीत, गतिमान वीडियो, थ्री-डी एनीमेशन, रेडियो ब्रोडकास्टिंग, टीव्ही टेलीकास्टिंग प्रमुख हैं. और यह सब ऑनलाइन होता है, यहाँ तक कि पाठकीय प्रतिक्रिया भी. कहने का वेब मीडिया में मतलब प्रस्तुतिकरण और प्रतिक्रियात्मक गतिविधि एवं सब कुछ ऑनलाइन होता है. परंपरागत प्रिंट मीडिया एट ए टाइम संपूर्ण संदर्भ पाठकों को उपलब्ध नहीं करा सकता किन्तु ऑनलाइन पत्रकारिता में वह भी संभव है.

युनिकोड ने बदला वेब-मीडिया का परिदृश्य

वेब मीडिया की लोकप्रियता-ग्राफ़ में गुणात्मक वृद्धि नहीं होने के पीछे अन्य कारणों के साथ फोंट की समस्य़ा भी रही है . शुरूआती दौर में इन अखबारों को पढ़ने के लिए यद्यपि हिंदी के पाठकों को अलग-अलग फ़ॉन्ट की आवश्यकता होती थी जिसे संबंधित अखबार के साइट से उस फ़ॉन्ट विशेष को चंद मिनटों में ही मुफ्त डाउनलोड़ और इंस्टाल करने की भी सुविधा दी जाती थी (गई है) . हिंदी फ़ॉन्ट की जटिल समस्या से हिंदी पाठकों को मुक्त करने के लिए शुरूआती समाधान के रूप में डायनामिक फ़ॉन्ट का भी प्रयोग किया जाता रहा है . डायनामिक फ़ॉन्ट ऐसा फ़ॉन्ट है जिसे उपयोगकर्ता द्वारा डाउनलोड करने की आवश्यकता नहीं होती बल्कि संबंधित जाल-स्थल पर उपयोगकर्ता के पहुँचने से फ़ॉन्ट स्वयंमेव उसके कंप्यूटर में डाउनलोड हो जाता है . यह दीगर बात है कि उपयोगकर्ता उस फ़ॉन्ट में वहाँ टाइप नहीं कर सकता . अब युनिकोड़ित फोंट के विकास से वेब मीडिया में फोंट डाउनलोड़ करने की समस्य़ा लगभग समाप्त हो चुकी है . 

बड़े वेब पोर्टलों के साथ-साथ सभी वेबसाइट अपनी-अपनी सामग्री युनिकोड़ित हिंदी फोंट में परोसने लगे हैं किन्तु अभी भी अनेक ऐसे साइट हैं जो समय के साथ कदम मिलाकर चलने को तैयार नहीं दिखाई देतीं . दिन प्रतिदिन गतिशील हो रही वेबमीडिया की पाठकीयता (वरिष्ठ पत्रकार संजय द्विवेदी के शब्दों में दर्शनीयता ही सही) को बनाये रखने के लिए पाठक को फोंट डाउनलोड़ करने के लिए अब विवश नहीं किया जा सकता . क्योंकि अब वह विकल्पहीनता का शिकार नहीं रहा . पीड़ीएफ़ में सामग्री उपलब्ध कराना फोंट की समस्या से निजात पाने का सर्वश्रेष्ठ विकल्प या साधन नहीं है . भाषायी ऑनलाइन पत्रकारिता वास्तविक हल तकनीकी विकास से संभव हुआ युनिकोड़ित फोंट ही है जो अब सर्वत्र उपलब्ध है.

No comments: