प्राइमरी मेमोरी: यह वह युक्तियाँ होती हैं जिसमें डेटा व प्रोग्राम्स तत्काल प्राप्त एवं संग्रह किए जाते हैं।
रीड-राइट मेमोरी, रैम (RAM): इस मेमोरी में प्रयोगकर्ता अपने प्रोग्राम को कुछ देर के लिए स्टोर कर सकते हैं। साधारण भाषा में इस मेमोरी को RAM कहते हैं। यही कम्प्यूटर की बेसिक मेमोरी भी कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है:
डायनेमिक रैम (DRAM): डायनेमिक का अर्थ है गतिशील। इस RAM पर यदि 10 आंकड़े संचित कर दिए जाएं और फिर उनमें से बीच के दो आंकड़े मिटा दिए जाएं, तो उसके बाद वाले बचे सभी आंकड़े बीच के रिक्त स्थान में स्वतः चले जाते हैं और बीच के रिक्त स्थान का उपयोग हो जाता है।
स्टैटिक रैम (SRAM): स्टैटिक रैम में संचित किए गए आंकड़े स्थित रहते हैं। इस RAM में बीच के दो आंकड़े मिटा दिए जाएं तो इस खाली स्थान पर आगे वाले आंकड़े खिसक कर नहीं आएंगे। फलस्वरूप यह स्थान तब तक प्रयोग नहीं किया जा सकता जब तक कि पूरी मेमोरी को “वाश” करके नए सिरे से काम शुरू न किया जाए।
रीड ओनली मेमोरी, ROM (Read Only Memory): ROM उसे कहते हैं, जिसमें लिखे हुए प्रोग्राम के आउटपुट को केवल पढ़ा जा सकता है, परन्तु उसमें अपना प्रोग्राम संचित नहीं किया जा सकता। ROM में अक्सर कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा प्रोग्राम संचित करके कम्प्यूटर में स्थाई कर दिए जाते हैं, जो समयानुसार कार्य करते रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेटर को निर्देश देते रहते हैं। बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम ( BIOS) नाम का एक प्रोग्राम ROM का उदाहरण है, जो कम्प्यूटर के ऑन होने पर उसकी सभी इनपुट आउटपुट युक्तियों की जांच करने एवं नियंत्रित करने का काम करता है।
सेकेंडरी मेमोरी: यह एक स्थाई संग्रहण युक्ति है। इसमे संग्रहित डेटा तथा प्रोग्राम्स कम्प्यूटर के ऑफ होने के बाद भी इसमे स्थित रहते है।
मैगनेटिक टेप: डाटा को स्थाई तौर पर संग्रहित कर सकने वाले उपकरणों में मैगनेटिक टेप का नाम प्रमुखता से आता है। इसमें ½ इन्च चौड़ाई वाली प्लास्ट्रिक की बिना जोड़ वाली लम्बी पटी होती है। जिस पर फैरोमेग्नेटिक पदार्थ की पर्त चढ़ाई जाती है। इस पट्टी को ही हम टेप कहते हैं। टेप विभिन्न लम्बाइयों में उपलब्ध होता है। प्रायः 400, 800, 1200 या 2400 फीट लम्बाई वाले मैगनेटिक टेप उपलब्ध होते हैं।टेप पर डाटा मेगनेटाइज्ड या नॉन मैगनेटाईज्ड बिन्दुओं के रूप में लिखा जाता है। एक अक्षर के लिए 7 बिट या 9 बिट कोड प्रयोग में लाया जाता हैमैगनेटाइज्ड एवं नॉन मैगनेटाइज्ड बिन्दुओं की कतारें टेप की लम्बाई के समानान्तर बन जाती है। इन्हें हम Tracks कहते हैं।
मैगनेटिक डिस्क: मैगनेटिक डिस्क की तुलना रिकार्ड प्लोयर के लॉग प्लेविंग L.P. रिकार्ड से कर सकते हैं। ऐसे कई रिकार्डस या डिस्क को एक के ऊपर एक कुछ अन्तर से लगा दिया जाय तो वे मैगनेटिक डिस्क के समान दिखेगें। सभी डिस्क एक के ऊपर एक समान्तर लगी होती है। सभी डिस्कों के बने इस माध्यम को डिस्क पैक कहते हैं। डिस्क पैक में 11 अथवा 20 ऐसी सतहें होती है। प्रायः सबसे ऊपरी तथा सबसे निचली सतह पर डाटा नहीं लिखा जाता है। इस ड्राइव में रीड व राइट हेड लगे होते हैं। जो डाटा को लिखने और पढ़ने का काम करते हैं। ये डाटा को Tracks के रूप में डिस्क पैक पर लिखते हैं।
फ्लॉपी डिस्क: यह एक छोटी लचीली डिस्क होती है जिसकी डाटा संग्रह करने की क्षमता बहुत अधिक नहीं होती। कीमत की लिहाज से यह बहुत सस्ती होती है। एक लचीली प्लास्टिक शीट के ऊपर मैगनेटिक ऑक्साइड कोटिंग करके इसे तैयार किया जाता है। इसके एक रीड/राइट हेड होता है जो फ्लॉपी की सतह से स्पर्श करके डाटा लिखता व पढ़ता है। ये १.४४ और २.८८ MB कि क्षमता में उपलब्ध होती है. फ्लापी डिस्क कि तरह ही एक ZIP डिस्क होता है जिसकी क्षमता १०० MB होती है.
पेन ड्राइव: ये एक एक्सटर्नल स्टोरेज होता है जिसे हम सीधे USB पोर्ट पर लगा सकते हैं. ये इस्तेमाल करने में बहुत आसन होता है और आसानी से उपलब्ध भी है. इसकी डाटा संग्रह करने कि क्षमता भी ज्यादा होती है. ये सामान्यतः १, २, ४, ८, १६ GB या उससे भी अधिक क्षमता में उपलब्ध है. यही कारण है कि आजकल इसका अत्यधिक इस्तेमाल किया जा रहा है.
CD/DVD ड्राइव: ये भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले स्टोरेज डिवाइस में से है. ये सस्ती होती है और इसकी संग्रहण क्षमता काफी अधिक होती है. आम तौर पर एक CD की संग्रहण क्षमता ७००-८०० MB और एक DVD की अधिकतम क्षमता १७ GB होती है.
हार्ड डिस्क ड्राइव: ये किसी भी कम्पुटर की सबसे मुख्य स्टोरेज डिवाइस होती है. इसकी संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है इसलिए ये कंप्यूटर के मुख्य संग्रहनक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. आजकल हार्ड डिस्क ड्राइव ४०, ८०, १६०, ३२०, ५०० GB या उससे अधिक क्षमता में उपलब्ध है.
रीड-राइट मेमोरी, रैम (RAM): इस मेमोरी में प्रयोगकर्ता अपने प्रोग्राम को कुछ देर के लिए स्टोर कर सकते हैं। साधारण भाषा में इस मेमोरी को RAM कहते हैं। यही कम्प्यूटर की बेसिक मेमोरी भी कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है:
डायनेमिक रैम (DRAM): डायनेमिक का अर्थ है गतिशील। इस RAM पर यदि 10 आंकड़े संचित कर दिए जाएं और फिर उनमें से बीच के दो आंकड़े मिटा दिए जाएं, तो उसके बाद वाले बचे सभी आंकड़े बीच के रिक्त स्थान में स्वतः चले जाते हैं और बीच के रिक्त स्थान का उपयोग हो जाता है।
स्टैटिक रैम (SRAM): स्टैटिक रैम में संचित किए गए आंकड़े स्थित रहते हैं। इस RAM में बीच के दो आंकड़े मिटा दिए जाएं तो इस खाली स्थान पर आगे वाले आंकड़े खिसक कर नहीं आएंगे। फलस्वरूप यह स्थान तब तक प्रयोग नहीं किया जा सकता जब तक कि पूरी मेमोरी को “वाश” करके नए सिरे से काम शुरू न किया जाए।
रीड ओनली मेमोरी, ROM (Read Only Memory): ROM उसे कहते हैं, जिसमें लिखे हुए प्रोग्राम के आउटपुट को केवल पढ़ा जा सकता है, परन्तु उसमें अपना प्रोग्राम संचित नहीं किया जा सकता। ROM में अक्सर कम्प्यूटर निर्माताओं द्वारा प्रोग्राम संचित करके कम्प्यूटर में स्थाई कर दिए जाते हैं, जो समयानुसार कार्य करते रहते हैं और आवश्यकता पड़ने पर ऑपरेटर को निर्देश देते रहते हैं। बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम ( BIOS) नाम का एक प्रोग्राम ROM का उदाहरण है, जो कम्प्यूटर के ऑन होने पर उसकी सभी इनपुट आउटपुट युक्तियों की जांच करने एवं नियंत्रित करने का काम करता है।
सेकेंडरी मेमोरी: यह एक स्थाई संग्रहण युक्ति है। इसमे संग्रहित डेटा तथा प्रोग्राम्स कम्प्यूटर के ऑफ होने के बाद भी इसमे स्थित रहते है।
मैगनेटिक टेप: डाटा को स्थाई तौर पर संग्रहित कर सकने वाले उपकरणों में मैगनेटिक टेप का नाम प्रमुखता से आता है। इसमें ½ इन्च चौड़ाई वाली प्लास्ट्रिक की बिना जोड़ वाली लम्बी पटी होती है। जिस पर फैरोमेग्नेटिक पदार्थ की पर्त चढ़ाई जाती है। इस पट्टी को ही हम टेप कहते हैं। टेप विभिन्न लम्बाइयों में उपलब्ध होता है। प्रायः 400, 800, 1200 या 2400 फीट लम्बाई वाले मैगनेटिक टेप उपलब्ध होते हैं।टेप पर डाटा मेगनेटाइज्ड या नॉन मैगनेटाईज्ड बिन्दुओं के रूप में लिखा जाता है। एक अक्षर के लिए 7 बिट या 9 बिट कोड प्रयोग में लाया जाता हैमैगनेटाइज्ड एवं नॉन मैगनेटाइज्ड बिन्दुओं की कतारें टेप की लम्बाई के समानान्तर बन जाती है। इन्हें हम Tracks कहते हैं।
मैगनेटिक डिस्क: मैगनेटिक डिस्क की तुलना रिकार्ड प्लोयर के लॉग प्लेविंग L.P. रिकार्ड से कर सकते हैं। ऐसे कई रिकार्डस या डिस्क को एक के ऊपर एक कुछ अन्तर से लगा दिया जाय तो वे मैगनेटिक डिस्क के समान दिखेगें। सभी डिस्क एक के ऊपर एक समान्तर लगी होती है। सभी डिस्कों के बने इस माध्यम को डिस्क पैक कहते हैं। डिस्क पैक में 11 अथवा 20 ऐसी सतहें होती है। प्रायः सबसे ऊपरी तथा सबसे निचली सतह पर डाटा नहीं लिखा जाता है। इस ड्राइव में रीड व राइट हेड लगे होते हैं। जो डाटा को लिखने और पढ़ने का काम करते हैं। ये डाटा को Tracks के रूप में डिस्क पैक पर लिखते हैं।
फ्लॉपी डिस्क: यह एक छोटी लचीली डिस्क होती है जिसकी डाटा संग्रह करने की क्षमता बहुत अधिक नहीं होती। कीमत की लिहाज से यह बहुत सस्ती होती है। एक लचीली प्लास्टिक शीट के ऊपर मैगनेटिक ऑक्साइड कोटिंग करके इसे तैयार किया जाता है। इसके एक रीड/राइट हेड होता है जो फ्लॉपी की सतह से स्पर्श करके डाटा लिखता व पढ़ता है। ये १.४४ और २.८८ MB कि क्षमता में उपलब्ध होती है. फ्लापी डिस्क कि तरह ही एक ZIP डिस्क होता है जिसकी क्षमता १०० MB होती है.
पेन ड्राइव: ये एक एक्सटर्नल स्टोरेज होता है जिसे हम सीधे USB पोर्ट पर लगा सकते हैं. ये इस्तेमाल करने में बहुत आसन होता है और आसानी से उपलब्ध भी है. इसकी डाटा संग्रह करने कि क्षमता भी ज्यादा होती है. ये सामान्यतः १, २, ४, ८, १६ GB या उससे भी अधिक क्षमता में उपलब्ध है. यही कारण है कि आजकल इसका अत्यधिक इस्तेमाल किया जा रहा है.
CD/DVD ड्राइव: ये भी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले स्टोरेज डिवाइस में से है. ये सस्ती होती है और इसकी संग्रहण क्षमता काफी अधिक होती है. आम तौर पर एक CD की संग्रहण क्षमता ७००-८०० MB और एक DVD की अधिकतम क्षमता १७ GB होती है.
हार्ड डिस्क ड्राइव: ये किसी भी कम्पुटर की सबसे मुख्य स्टोरेज डिवाइस होती है. इसकी संग्रहण क्षमता बहुत अधिक होती है इसलिए ये कंप्यूटर के मुख्य संग्रहनक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. आजकल हार्ड डिस्क ड्राइव ४०, ८०, १६०, ३२०, ५०० GB या उससे अधिक क्षमता में उपलब्ध है.
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