two-step flow
The two-step flow of
communication hypothesis was first introduced by Paul Lazarsfeld, Bernard
Berelson, and Hazel Gaudet in The People's Choice, a 1944 study focused on the
process of decision-making during a Presidential election campaign. These
researchers expected to find empirical support for the direct influence of
media messages on voting intentions. They were surprised to discover, however,
that informal, personal contacts were mentioned far more frequently than
exposure to radio or newspaper as sources of influence on voting behavior.
Armed with this data, Katz and Lazarsfeld developed the two-step flow theory of
mass communication.
Core Assumptions
and Statements
This theory
asserts that information from the media moves in two distinct stages. First,
individuals (opinion leaders) who pay close attention to the mass media and its
messages receive the information. Opinion leaders pass on their own
interpretations in addition to the actual media content. The term ‘personal
influence’ was coined to refer to the process intervening between the media’s
direct message and the audience’s ultimate reaction to that message. Opinion
leaders are quite influential in getting people to change their attitudes and
behaviors and are quite similar to those they influence. The two-step flow
theory has improved our understanding of how the mass media influence decision
making. The theory refined the ability to predict the influence of media
messages on audience behavior, and it helped explain why certain media
campaigns may have failed to alter audience attitudes an behavior. The two-step
flow theory gave way to the multi-step flow theory of mass communication or diffusion
of innovation theory.
Source: Katz
& Lazarsfeld (1955)
द्वि-चरणीय प्रवाह सिद्धांत : प्रोफेसर लेजर्सफेल्ड ने अपने समाजशास्त्री साथी बेरलसन, काटजू, गाइल के साथ मिलकर १९४० के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में संचार माध्यमों के प्रभाव का अध्ययन तथा इसी आधार पर १९४४ में च्दी पीपुल्स च्वाइसज् नामक पुस्तक प्रकाशित किया। अध्ययन के दौरान उनकी टीम ने चार समूहों क्रमश: अ, ब, स और द के ६०० मतदाता का पहला साक्षात्कार मई, १९४० में लिया। इसके बाद समूह-अ के मतदाताओं का नवंबर से प्रत्येक माह चुनाव होने तक तथा शेष तीन समूह-ब, स और द के मतदाताओं का जुलाई, अगस्त व अक्तूबर माह में साक्षात्कार लिया। इसके परिणाम काफी आश्चर्यजनक निकले, क्योंकि अध्ययन के दौरान पाया गया कि मतदाताओं पर जनमाध्यमों का कम तथा व्यक्तिगत सम्पर्कों (ओपीनियन लीडर) का ज्यादा प्रभाव था। जनमाध्यमों पर प्रसारित संदेश पहले ओपीनियन लीडर तक पहुंचते थे। ओपीनियन लीडर संदेश को अपने निकटस्थ लोगों या समर्थकों तक पहुंचा देते थे। शोध के दौरान यह भी पाया गया कि ओपीनियन लीडर प्रतिदिन रेडियो सुनते और समाचार-पत्र पढ़ते थे तथा समाज के कम सक्रिय किन्तु व्यापक संख्या वाले लोगों तक संदेशों को पहुंचा देते थे। इनके प्रभाव के कारण मई से नवंबर माह के बीच आठ प्रतिशत मतदाताओं ने अपना उम्मीदवार बदला। कई मतदाताओं ने व्यक्तिगत प्रभाव के कारण अपने उम्मीदवार का निर्णय देर से लिया। एक महिला होटल कर्मी ने शोधार्थियों को बताया कि उसने वोट देने का निर्णय एक ऐसे ग्राहक की बातों से प्रभावित होकर लिया, जिसे वह जानती तक नहीं थी। लेकिन उसकी बातें सुनकर ऐसा लग रहा था कि मानों वह जिसके बारे में बात कर रहा है, उसके बारे में सबकुछ जानता है। इसी आधार पर प्रोफेसर लेजर्सफेल्ड ने संचार के व्यक्तिकत प्रभाव (द्वि-चरणीय प्रवाह) सिद्धांत का प्रतिपादन किया। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि- ओपीनियन लीडर कौन होते हैं?
ओपीनियन लीडर : समाज का वह प्रभावशाली व्यक्ति है, जिसके पास कोई संवैधानिक शक्ति तो नहीं होती है, किन्तु अपने क्षेत्र या विषय के विशेषज्ञ होने के कारण जनमत को प्रभावित करने की हैसियत रखते है। ऐसे व्यक्ति को ओपीनियन लीडर कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में- ओपीनियन लीडर जनमाध्यम और जनता के बीच एक सेतू की तरह होता है।
ओपीनियन लीडर : समाज का वह प्रभावशाली व्यक्ति है, जिसके पास कोई संवैधानिक शक्ति तो नहीं होती है, किन्तु अपने क्षेत्र या विषय के विशेषज्ञ होने के कारण जनमत को प्रभावित करने की हैसियत रखते है। ऐसे व्यक्ति को ओपीनियन लीडर कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में- ओपीनियन लीडर जनमाध्यम और जनता के बीच एक सेतू की तरह होता है।
अपने अध्ययन के दौरान प्रोफेसर लेजर्सफेल्ड व उनके साथियों ने ओपीनियन लीडर को चिन्हित करने के लिए मतदाताओं से सवाल पूछा कि- विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय बनाने के लिए किससे सलाह करते हैं? इस सवाल के अधिकांश जवाब में प्रभावशाली व्यक्ति ही थे, जो समाज के अन्य सदस्यों की अपेक्षा अधिक अनुभवी, कर्मठ व चौकन्ना थे तथा समाज के सभी मामलों में दिलचस्पी लेता है। अध्ययन के दौरान पाया गया कि सभी समाज में कोई न कोई ऐसा व्यक्ति अवश्य होता है, जो ओपीनियन लीडर की भूमिका निभाता है। ओपीनियन लीडर जनमाध्यमों का प्रयोग सामान्य लोगों की अपेक्षा अधिक करते हैं। साथ ही जनमाध्यमों और अपने समाज के सदस्यों के बीच मध्यस्थता का काम भी करते हैं। अधिकांशत: लोग इन लीडरों से ही संदेश प्राप्त करते है। यहीं व्यक्तिगत प्रभाव के सिद्धांत का आधार भी है।
विशेषताएं : व्यक्तिगत प्रभाव (द्वि-चरणीय प्रवाह) सिद्धांत में आम जनता पर ओपीनियन लीडर का प्रभाव अत्यधिक होता है, क्योंकि-
(1) जनमाध्यमों पर प्रसारित संदेशों को आम लोगों की अपेक्षा ओपीनियन लीडर अधिक गंभीरता व उत्सुकता से सुनते हैं।
(2) ओपीनियन लीडर के पास एक से अधिक जनमाध्यम होते हैं, जिन पर प्रसारित संदेशों एवं सूचनाओं की सत्यता को परखने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं।
(3) ओपीनियन लीडर विभिन्न सामाजिक कार्यों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं, जिसके कारण उसके विचार स्वत: ही महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
(4) ओपीनियन लीडर अपने समर्थकों के बीच बड़ी सहजता से पहुंच जाते हैं तथा सूचनाओं का प्रचार-प्रसार कर निर्णायक भूमिका निभाते हंै।
(5) ओपीनियन लीडर आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होने के कारण अच्छी सामाजिक हैसियत रखते हैं, जिसके चलते लोग उसके संदेशों पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
(6) ओपीनियन लीडर किसी भी प्रकार के संशय की स्थिति में अपने समर्थकों से विचार-विमर्श करते हैं और उचित परामर्श को स्वीकार करते हैं।
निष्कर्ष : अपने अध्ययन के दौरान संचार विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकला कि संदेश ग्रहण करने मात्र से ही मानव के व्यवहार व सोच में परिवर्तन नहीं हो जाता है। इसमें काफी समय लगता है। इस प्रक्रिया की रफ्तार काफी धीमी है। जनमाध्यमों द्वारा सम्प्रेषित संदेश का सभी प्रापकों पर एक समान प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे ओपिनियन लीडर अपने प्रभाव से स्थापित करता है।
आलोचना : इस सिद्धांत की आलोचना कई संचार विशेषज्ञों ने की है। इनका मानना है कि व्यक्तिगत प्रभाव सिद्धांत में जनमाध्यमों की भूमिका को एकदम से नकार दिया गया है तथा ओपीनियन लीडर की भूमिका को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है, जो उचित नहीं है। डेनियलसन का तर्क है कि जनमाध्यमों की पहुंच समाज में व्यापक लोगों के बीच होती है, जिनके माध्यम से लोग सीधे संदेश ग्रहण करते हैं। इसके लिए किसी मीडिल मैन (ओपीनियन लीडर) की जरूरत नहीं है।
विशेषताएं : व्यक्तिगत प्रभाव (द्वि-चरणीय प्रवाह) सिद्धांत में आम जनता पर ओपीनियन लीडर का प्रभाव अत्यधिक होता है, क्योंकि-
(1) जनमाध्यमों पर प्रसारित संदेशों को आम लोगों की अपेक्षा ओपीनियन लीडर अधिक गंभीरता व उत्सुकता से सुनते हैं।
(2) ओपीनियन लीडर के पास एक से अधिक जनमाध्यम होते हैं, जिन पर प्रसारित संदेशों एवं सूचनाओं की सत्यता को परखने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं।
(3) ओपीनियन लीडर विभिन्न सामाजिक कार्यों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े होते हैं, जिसके कारण उसके विचार स्वत: ही महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
(4) ओपीनियन लीडर अपने समर्थकों के बीच बड़ी सहजता से पहुंच जाते हैं तथा सूचनाओं का प्रचार-प्रसार कर निर्णायक भूमिका निभाते हंै।
(5) ओपीनियन लीडर आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होने के कारण अच्छी सामाजिक हैसियत रखते हैं, जिसके चलते लोग उसके संदेशों पर ज्यादा भरोसा करते हैं।
(6) ओपीनियन लीडर किसी भी प्रकार के संशय की स्थिति में अपने समर्थकों से विचार-विमर्श करते हैं और उचित परामर्श को स्वीकार करते हैं।
निष्कर्ष : अपने अध्ययन के दौरान संचार विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकला कि संदेश ग्रहण करने मात्र से ही मानव के व्यवहार व सोच में परिवर्तन नहीं हो जाता है। इसमें काफी समय लगता है। इस प्रक्रिया की रफ्तार काफी धीमी है। जनमाध्यमों द्वारा सम्प्रेषित संदेश का सभी प्रापकों पर एक समान प्रभाव नहीं पड़ता है। इसे ओपिनियन लीडर अपने प्रभाव से स्थापित करता है।
आलोचना : इस सिद्धांत की आलोचना कई संचार विशेषज्ञों ने की है। इनका मानना है कि व्यक्तिगत प्रभाव सिद्धांत में जनमाध्यमों की भूमिका को एकदम से नकार दिया गया है तथा ओपीनियन लीडर की भूमिका को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है, जो उचित नहीं है। डेनियलसन का तर्क है कि जनमाध्यमों की पहुंच समाज में व्यापक लोगों के बीच होती है, जिनके माध्यम से लोग सीधे संदेश ग्रहण करते हैं। इसके लिए किसी मीडिल मैन (ओपीनियन लीडर) की जरूरत नहीं है।
The multi-step
flow theory
The multi-step
flow theory assumes ideas flow from mass media to opinion leaders before being
disseminated to a wider population. This theory was first introduced by
sociologist Paul Lazarsfeld et al. in 1944 and elaborated by Elihu Katz and
Lazarsfeld in 1955.
The multi-step
flow theory also states opinion leaders are affected more by “elite media” than
run-of-the-mill, mass media. This is evident by political opinion leaders
receiving their information from unconventional sources such as The Huffington
Post, instead of Fox News or MSNBC.
According to the
multi-step flow theory, opinion leaders intervene between the “media’s direct
message and the audience’s reaction to that message.” Opinion leaders tend to
have the great effect on those they are most similar to—based on personality, interests,
demographics, or socio-economic factors. These leaders tend to influence others
to change their attitudes and behaviors more quickly than conventional media
because the audience is able to better identify or relate to an opinion leader
than an article in a newspaper or a news program.
This media
influence theory shows that information dissemination is a social occurrence,
which may explain why certain media campaigns do not alter audiences’
attitudes.
An important
factor of the multi-step flow theory is how the social influence is modified.
Information is affected by the social norms of each new community group that it
enters. It is also shaped by conflicting views surrounding it.
Examples in
Society
Businesses and
politicians have harnessed the power of opinion leaders. An example of this
phenomena is how individuals and companies have turned to Twitter influencers
and bloggers to increase hype around specific topics.
During the 2008
Presidential Elections, Sean Combs became an opinion leader for voting with his
"Vote or Die" campaign.
Former Vice
President, Al Gore also utilized the multi-step flow theory to gain support for
his nonprofit, The Climate Project. Gore recruited individuals who were
educated on environmental issues and had the ability to be influential in their
community and amongst their friends and family.He then trained his opinion
leaders on the information he wanted them to disseminate. This ultimately
enabled them to educate many Americans about The Climate Project and Gore’s overall
ideas about climate change.
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