संचारक के तत्व (Elements of Communication)
संचार एक सतत् प्रक्रिया है जिसमें निम्न छ: तत्व एक निश्चित उद्देश्य की पूर्ति के लिए आपस में क्रिया-प्रतिक्रिया करते हैं ।
(i) संचारक¤ (Communicator) संचार प्रक्रिया में संचारक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। यह प्रापक की समस्याओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप संदेश का निर्माण करता है। संचारक संदेश का स्रोत व निर्माता होता है। दूसरे शब्दों में, संचारक वह व्यक्ति होता है जो संचार प्रक्रिया की शुरूआत करता है। इसे कम्युनिकेटर, सेंडर, स्रोत, सम्प्रेषक, एनकोडर, संवादक इत्यादि नामों से जाना जाता है। सम्प्रेषित संदेश का प्रापक पर क्या और कितना प्रभाव होगा, यह संचारक के सम्प्रेषण कला और ज्ञान के स्तर पर निर्भर करता है।
(ii) संदेश (Message) संचार प्रक्रिया में विचारों व अनुभवों का सम्प्रेषण होता है। विचार व अनुभव को ही संदेश कहते हैं। दूसरे शब्दों में- प्रापक से संचारक जो कुछ कहना चाहता है वह संदेश है। संदेश लिखित, मौखिक, प्रतीकात्मक तथा शारीरिक हाव-भाव के रूप में होता है। संदेश को अंतर्वस्तु (Contents) भी कहा जाता है। प्राय: संदेश का निर्माण अंत:वैयक्तिक संचार के रूप में होता है, लेकिन यह जरूरी नहीं है वह उसी रूप में प्रापक तक पहुंचे। एक संदेश अलग-अलग माध्यमों से अलग-अलग प्रापकों तक अलग-अलग रूपों में पहुंचता है। संदेश का निर्माण करते समय संचारक को संदेश की विषय वस्तु, संदेश की विवेचना, संदेश माध्यम, प्रापक के ज्ञान का स्तर इत्यादि को ध्यान में रखना चाहिये। इनमें से किसी एक का गलत चयन होने पर प्रभावी संचार संभव नहीं है।
(iii) माध्यम (Channel) संचार प्रक्रिया मे माध्यम सेतु की तरह होता है, जो संचार और प्रापक को जोडऩे का कार्य करता है। संदेश किस तरह के श्रोताओं तक, किस गति से तथा कितने समय में पहुंचाना है, यह माध्यम पर निर्भर करता है। समाचार पत्र, टेलीविजन चैनल, रेडियो, वेब पोर्टल्स, ई-मेल, फैक्स, टेलीप्रिंटर, मोबाइल इत्यादि संचार के अत्याधुनिक माध्यम हैं। सम्प्रेषित संदेश की सफलता उसके माध्यम पर निर्भर करती है। उदाहरणार्थ, समाचार पत्र व ई-मेल से भेजा गया संदेश केवल साक्षर लोगों के बीच, जबकि रेडियो व टेलीविजन से सम्प्रेषित संदेश साक्षर व निरक्षर दोनों के बीच प्रभावी होता है। इसका तात्पर्य है कि माध्यम और संदेश के बीच सामंजस्य पर संचार की प्रभावशीलता निर्भर करती है।
(iv) प्रापक (Receiver) प्रापक उस व्यक्ति को कहते है, जिसको ध्यान में रखकर संचारक अपने संदेश का निर्माण, उचित माध्यम का चुनाव और सम्प्रेषण करता है। प्रापक कोई एक व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह हो सकता है। प्रापक को संग्राहक, ग्रहणकर्ता, प्राप्तकर्ता, रिसीवर, डिकोडर इत्यादि नामों से जाना जाता है। संचारक द्वारा सम्प्रेषित संदेश को प्रापक पढक़र, सुनकर, देखकर, चख कर व स्पर्श कर ग्रहण करता है। देखने या सुनने या पढऩे या सोचने की क्षमता के अभाव में प्रापक संदेश के अर्थो को शत-प्रतिशत ग्र्रहण नहीं सकता है।
(v) फीडबैक (Feedback) संचारक से संदेश ग्रहण करने के उपरांत प्रापक उस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है, जिसे प्रति-उत्तर, प्रतिपुष्टि व फीडबैक कहा जाता है। बेहतर संचार के लिए बेहतर फीडबैक का होना आवश्यक है। फीडबैक से ही पता चलता है कि संचारक के संदेश को प्रापक ने ग्रहण किया है या नहीं। अनुभवी संचारक सम्प्रेषण के दौरान ही प्रापक से फीडबैक लेना शुरू कर देता है, क्योंकि वह जैसे ही बोलना शुरू करता है, वैसे ही प्रापक अपने चेहरे व हाव-भाव से प्रतिक्रिया व्यक्त करना शुरू कर देता है। फीडबैक से संचारक को पता चलता है कि संदेश सम्प्रेषण में गलती हो रही है या नहीं। फीडबैक सकारात्मक या नकारात्मक तथा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हो सकता है।
(v) शोर (Noise) संचार प्रक्रिया में शोर एक प्रकार का अवरोध है, जो सम्प्रेषित संदेश के प्रभाव को कम करता है। शोर को बाधा भी कहा जाता है। संचारक जिस रूप में संदेश को भेजता है, उसी रूप में प्रापक तक शत-प्रतिशत पहुंच जाये तो माना जाता है कि संचार प्रक्रिया में कोई अवरोध नहीं है। लेकिन ऐसा कम ही होता है। सभी सम्प्रेषित संदेश के साथ कोई न कोई शोर अवश्य जुड़ जाता है, जो संचारक द्वारा भेजा गया नहीं होता है। उदाहरणार्थ, रेडियो या टेलीविजन पर आवाज के साथ सरसराहट का आना। मोबाइल पर वार्तालाप के दौरान आसपास की ध्वनियों का जुड़ जाना इत्यादि।
7 comments:
संचार के निर्भरता सिद्धांत ( Dependency Theory) से सम्बंधित नोट्स उपलब्ध कराने का कृपा करें
सबसे पहले तो आपको बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने ये नोटिस बनाये , काफी सहायता मिली मुझे, इस नोट्स से , आगे भी mass communication से जुड़े नोट्स बनाइये, , आगे बाद में बोलूंगी आज मेरा exam है,धन्यवाद
essential of communication to built the society ke notes dene ki kripa kre
Ok
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
बहुत-बहुत धन्यवाद।
Its good but so much
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