समाचार के प्रकार
बदलती दुनिया, बदलते सामाजिक परिदृश्य, बदलते बाजार, बाजार के आधार पर बदलते
शैक्षिक-सांस्कृतिक परिवेश और सूचनाओं के अम्बार ने समाचारों को कई – कई प्रकार दे डाले हैं। कभी उंगलियों पर गिन लिये जाने वाले
समाचार के प्रकारों को अब पूरी तरह गिना पाना संभव नहीं है। एक बहुत बड़ा सच यह है
कि इस समय सूचनाओं का एक बहुत बड़ा बाजार विकसित हो चुका है। इस नये – नवेले बाजार में समाचार उत्पाद का रूप लेते जा रहे हैं।
समाचार पत्र हों या चैनल, हर ओर समाचारों को
ब्रांडेड उत्पाद बनाकर परोसने की कवायद शुरू हो चुकी है। खास और एक्सक्लूसिव बताकर
समाचार को पाठकों या दर्शकों तक पहुंचाने की होड़ ठीक उसी तरह है, जिस तरह किसी कम्पनी द्वारा अपने उत्पाद को अधिक से अधिक
उपभोक्ताओं तक पहुंचाना।
समाचारों का मार्केट तैयार
करने की बात बड़ी तेजी से सामने आ रही है। कुछ नया करके आगे निकल जाने की होड़ में
लगभग सभी समाचार पत्र और चैनल शामिल हैं। यही वजह है कि बीसवीं सदी के अंतिम दशक
से समाचारों के प्रकारों की फेहरिस्त लगातार बढती नजर आ रही है। इंटरनेट के प्रयोग
ने इस फेहरिस्त को लम्बा करने और सम्यक व अद्यतन जानकारियों से लैस करने में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई है। सच तो यह है कि इंटरनेट ने भारत के समाचार पत्रों को विश्व स्तर
के समाचार पत्रों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। सर्वाधिक गुणात्मक सुधार व विकास
हिन्दी व अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में देखने को मिला है।
समाचार के कई प्रकार हैं।
घटना के महत्व, अपेक्षितता, अनपेक्षितता, विषय क्षेत्र, समाचार का महत्व, संपादन हेतु प्राप्त
समाचार, प्रकाशन स्थान, समाचार प्रस्तुत करने का ढंग आदि कई आधारों पर समाचारों का विभाजन, महत्ता व गौणता का अंकन किया जाता है। तथा उसके आधार पर
समाचारों का प्रकाशन कर उसे पूर्ण, महत्वपूर्ण व सामयिक बनाया
जा सकता है।
क. प्रकाशन स्थान के आधार
पर
१. स्थानीय समाचार
गांव या कस्बे, जहां से समाचार पत्र का प्रकाशन होता हो, विद्यालय या अस्पताल की इमारत का निर्माण, स्थानीय दंगे, दो गुटों में संघर्ष
जैसे स्थानीय समाचार, जो कि स्थानीय महत्व और
क्षेत्रीय समाचार पत्रों की लोकप्रियता को बढाने में सहायक होने के कारण स्थानीय
समाचार पत्रों में विशेष स्थान पाते हों, स्थानीय समाचार
कहलाते हैं। समाचार यदि लोगों से सीधे जुड़े होते हैं तो उसकी प्रसार व प्रचार की
स्थिति बहुत अधिक मजबूत हो जाती है। इधर कई समाचार पत्रों ने अपने स्थानीय संस्करण
प्रकाशित करने शुरू कर दिये हैं। ऐसे में दो से सात पृष्ठ स्थानीय समाचारों से भरे
जा रहे हैं। यह कवायद स्थानीय बाजार में अपनी पैठ बनाने की भी है, ताकि स्थानीय छोटे – छोटे विज्ञापन भी आसानी से प्राप्त किये जा सकें। स्थानीय समाचार में जन
सहभागिता भी सुनिश्चित की जाती है, ताकि समाचार पत्र को लेग
अपनी ही आवाज का प्रतिरूप मान सकें। कई समाचार पत्रों ने अपने स्थानीय कार्यालय या
ब्यूरो स्थापित कर दिये हैं और वहां संवाददाताओं की कई स्तरों वाली फौज भी तैनात
कर रखी है।
समाचार चैनलों में भी
स्थानीयता को महत्व दिया जाने लगा है। कई समाचार चैनल समाचार पत्रों की ही तरह
अपने समाचारों को स्थानीय स्तर पर तैयार करके प्रसारित कर रहे हैं। वे छोटे –
छोटे आयोजन या घटनाक्रम, जो समाचारों के राष्ट्रीय चैनल पर बमुश्किल स्थान पाते थे, अब सरलता से टीवी स्क्रीन पर प्रसारित होते दिख जाते हैं।
कुछ शहरों में स्थानीय केबल समाचार चैनल भी शुरु हो गये हैं, और बहुत लोकप्रिय सिद्ध हो रहे हैं। यह कहा जा सकता है कि
आने वाले दिनों में स्थानीय स्तर पर समाचार चैनल संचालित करने की होड़ मचने वाली
है।
२. प्रादेशिक या क्षेत्रीय
समाचार
जैसे – जैसे समाचार पत्र व चैनलों का दायरा बढता जा रहा है,
वैसे – वैसे प्रादेशिक व क्षेत्रीय
समाचारों का महत्व भी बढ रहा है। एक समय था कि समाचार पत्रों के राष्ट्रीय संस्करण
ही प्रकाशित हुआ करते थे। धीरे – धीरे प्रांतीय संस्करण
निकलने लगे और अब क्षेत्रीय व स्थानीय संस्करण निकाले जा रहे हैं।
किसी प्रदेश के समाचार
पत्रों पर ध्यान दें तो उसके मुख्य पृष्ठ पर प्रांतीय समाचारों की अधिकता रहती है।
प्रांतीय समाचारों के लिये प्रदेश शीर्षक से पृष्ठ भी प्रकाशित किये जाते हैं। इसी
तरह से पश्चिमांचल, पूर्वांचल या फिर
बुंदेलभूमि शीर्षक से पृष्ठ तैयार करके क्षेत्रीय समाचारों को प्रकाशित किया जाने
लगा है। प्रदेश व क्षेत्रीय स्तर के ऐसे समाचारों को प्रमुखता से प्रकाशित करना
आवश्यक होता है, जो उस प्रदेश व क्षेत्र की
अधिसंख्य जनता को प्रभावित करते हों। कुछ समाचार चैनलों ने भी क्षेत्रीय व
प्रादेशिक समाचारों को अलग से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है।
३. राष्ट्रीय समाचार
देश में हो रहे आम चुनाव,
रेल या विमान दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा – बाढ, अकाल, महामारी, भूकम्प आदि – रेल बजट, वित्तीय बजट से सम्बंधित समाचार, जिनका प्रभाव अखिल देशीय हो, राष्ट्रीय समाचार कहलाते
हैं। राष्ट्रीय समाचार स्थानीय और प्रांतीय समाचार पत्रों में भी विशेष स्थान पाते
हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर घट रही
हर घटना – दुर्घटना समाचार पत्रों व चैनलों पर महत्वपूर्ण
स्थान पाती है। देश के दूर-दराज इलाके में रहने वाला सामान्य सा आदमी भी यह जानना
चाहता है कि राष्ट्रीय राजनीति कौन सी करवट ले रही है, केन्द्र सरकार का कौन सा फैसला उसके जीवन को प्रभावित करने जा रहा है, देश के किसी भी कोने में घटने वाली हर वह घटना जो उसके जैसे
करोड़ों को हिलाकर रख देगी या उसके जैसे करोड़ों लोगों की जानकारी में आना जरूरी
है।
सच यह है कि इलेक्ट्रानिक
मीडिया के प्रचार – प्रसार ने लोगों को
समाचारों के प्रति अत्यधिक जागरुक बनाया है। पल प्रति पल घटने वाली हर बात को
जानने की ललक ने कुछ और – कुछ और प्रस्तुत करने की
होड़ को बढावा दिया है। सच यह भी है कि लोगों में अधिक से अधिक जानकारी हासिल करने
की ललक ने समाचार पत्रों की संख्या में तेजी से वृद्धि की है। एक तरफ इलेक्ट्रानिक
मी़डिया से मिली छोटी सी खबर को विस्तार से पढाने की होड़ में शामिल समाचार पत्रों
का रंग – रूप बदलता गया, वहीं समाचार चैनलों की शुरूआत करके इलेक्ट्रानिक मीडिया ने अपने दर्शकों को
खिसकर जाने से रोकने की कवायद शुरू कर दी। हाल यह है कि किसी भी राष्ट्रीय महत्व
की घटना-दुर्घटना या फिर समाचार बनने लायक बात को कोई भी छोड़ देने को तैयार नहीं
है, न इलेक्ट्रानिक मीडिया और न ही प्रिंट मीडिया।
यही वजह है कि समाचार चैनल जहां राष्ट्रीय समाचारों को अलग से प्रस्तुत करने की
कवायद में शामिल हो चुके हैं, वहीं बहुतेरे समाचार पत्र
मुख्य व अंतिम कवर पृष्ठ के अतिरिक्त राष्ट्रीय समाचारों के दो-तीन पृष्ठ अलग से
प्रकाशित कर रहे हैं।
४. अंतर्राष्ट्रीय समाचार
ग्लोबल गांव की कल्पना को
साकार कर देने वाली सूचना क्रांति के बाद के इस समय में अंतर्राष्ट्रीय समाचारों
को प्रकाशित या प्रसारित करना जरूरी हो गया है। साधारण सा साधारण पाठक या दर्शक भी
यह जानना चाहता है कि अमेरिका में राष्ट्रपति के चुनाव का परिणाम क्या रहा या फिर
हालीवुड में इस माह कौन सी फिल्म रिलीज होने जा रही है या फिर आतंकवादी सरगना बिन
लादेन कहां छिपा हुआ है। विश्व भर के रोचक – रोमांचक को जानने के लिये अब हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के पाठकों और
दर्शकों में ललक बढी है। यही कारण है कि यदि समाचार चैनल दुनिया एक नजर में या फिर
अंतर्राष्ट्रीय समाचार प्रसारित कर रहे हैं तो हिन्दी के प्रमुख अखबारों ने
अराउण्ड द वर्ल्ड, देश विदेश, दुनिया आदि के शीर्षक से पूरा पृष्ठ देना शुरू कर दिया है।
समाचार पत्रों व चैनलों के प्रमुख समाचारों की फेहरिस्त में कोई न कोई महत्वपूर्ण
अंतर्राष्ट्रीय समाचार रहता ही है।
कई चैनलों व समाचार पत्रों
ने विश्व के कई प्रमुख शहरों में, खासकर राजधानियों में,
अपने संवाददाताओं को नियुक्त कर रखा है। समाचार पत्रों के
विदेशी समाचार वाले पृष्ठ को छायाचित्रों सहित इंटरनेट से तैयार किया जाता है।
बहुतेरे समाचार विदेशी समाचार एजेंसियों से प्राप्त किये जाते हैं। कई
फ्री-लांसिंग करने वाले यानी स्वतंत्र पत्रकारों व छायाकारों ने अपनी व्यक्तिगत
वेबसाइट बना रखी है, जो लगातार अद्यतन समाचार व
छायाचित्र उपलब्ध कराते रहते हैं। इंटरनेट पर तैरती ये वेबसाइटें कई मायनों में
अति महत्वपूर्ण होती है। सच यह है कि जैसे – जैसे देश में साक्षरता बढ रही है, वैसे – वैसे अधिक से अधिक लोगों में विश्व भर को अपनी जानकारी के
दायरे में लाने की होड़ मच गई है। यही वजह है कि समाचार से जुड़ा व्यवसाय अब
अंतर्राष्ट्रीय समाचारों को अधिक से अधिक आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करने की होड़ में
शामिल हो गया है।
ख. विषय विशेष के आधार पर
निरंतर बदलती दुनिया ने
समाचारों के लिये विषयों की भरमार कर दी है। पहले जहां मात्र राजनीति के समाचार,
अपराध के समाचार, खेल-कूद के समाचार, साहित्य-संस्कृति के समाचार से ही समाचार पत्रों का काम चल
जाया करता था, वहीं अब सूचना क्रांति,
बदलते शैक्षिक परिवेश और बदलते सामाजिक ताने-बाने ने
समाचारों के लिये ढेरों विषय पैदा कर दिये हैं। देश में बढ रही साक्षरता व
जागरुकता ने भी समाचारों के वैविध्य को बढा दिया है। अब कोई भी समाचार पत्र या
चैनल समाचारों के वैविध्य को अपनाये बिना चल ही नहीं सकता। मल्टीप्लेक्स और मल्टी
टेस्ट रैस्त्रां के इस समय में पाठक-दर्शक वह सब कुछ पढना-सुनना-देखना चाहता है,
जो उसके इर्द-गिर्द घट रहा है। उसे हर उस विषय से जुड़ी
ताजा जानकारी चाहिए, जो सीधे या फिर परोक्ष रूप
से उससे जुड़ी हुई है। जमाना मांग और आपूर्ति के बीच सही तालमेल बैठाकर चलने का है
और यही वजह है कि कोई भी समाचार पत्र या चैनल ऐसा कुछ भी छोड़ने को तैयार नहीं है,
जो उसके पाठक या दर्शक की पसंद हो सकती है। दिख रहा है सब
कुछ के इस समय में वे विषय भी समाचार बन रहे हैं, जिनकी चर्चा सभ्य समाज में करना वर्जित माना जाता रहा है।
विषय विशेष के आधार पर हम
समाचारों को निम्नलिखत प्रकारों में विभेदित कर सकते हैं -
(१) राजनीतिक समाचार
(२) अपराध समाचार
(३) साहित्यिक-सांस्कृतिक
समाचार
(४) खेल-कूद समाचार
(५) विधि समाचार
(६) विकास समाचार
(७) जन समस्यात्मक समाचार
(८) शैक्षिक समाचार
(९) आर्थिक समाचार
(१०) स्वास्थ्य समाचार
(११) विज्ञापन समाचार
(१२) पर्यावरण समाचार
(१३) फिल्म-टेलीविजन
(मनोरंजन) समाचार
(१४) फैशन समाचार
(१५) सेक्स समाचार
(१६) खोजी समाचार . . .
आदि।
3. समाचार के महत्व के
आधार पर
१. महत्वपूर्ण समाचार
बड़े पैमाने पर दंगा,
अपराध, दुर्घटना, प्राकृतिक विपदा, राजनीतिक उठापटक से
संबंधित समाचार, जिनसे जन-जीवन प्रभावित
होता हो और जिनमें शीघ्रता अपेक्षित हो, महत्वपूर्ण समाचार
कहलाते हैं।
२. कम महत्वपूर्ण समाचार
जातीय, सामाजिक, व्यावसायिक एवं राजनीतिक
संस्थाओ, संगठनों तथा दलों की बैठकें, सम्मेलन, समारोह, प्रदर्शन, जुलूस, परिवहन तथा मार्ग दुर्घटनाएं आदि से सम्बंधित समाचार,
जिनसे सामान्य जनजीवन न प्रभावित होता है और जिनमे
अतिशीघ्रता अनपेक्षित हो, कम महत्वपूर्ण समाचार
कहलाते हैं।
३. सामान्य महत्व के समाचार
आतंकवादियों व आततायियों के
कुकर्म, छेड़छाड़, मारपीट, पाकेटमारी, चोरी, ठगी, डकैती, हत्या, अपहरण, बलात्कार के समाचार, जिनका महत्व सामान्य हो और जिनके अभाव में कोई ज्यादा फर्क न पड़ता हो तथा जो
सामान्य जनजीवन को प्रभावित न करते हों, सामान्य महत्व के
समाचार कहलाते हैं।
च. सम्पादन के लिये
प्रस्तुत समाचार के आधार पर
१. पूर्ण समाचार
वे समाचार जिनके तथ्यों,
सूचनाओं, विवरणों आदि में दोबारा
किसी परिवर्तन की गुंजाइश न हो, पूर्ण समाचार कहलाते हैं।
पूर्ण समाचार होने के कारण ही इन्हें निश्चिंतता के साथ संपादित व प्रकाशित किया
जाता है।?
२. अपूर्ण समाचार
वे समाचार जो समाचार
एजेंसियों से एक से अधिक हिस्सों में आते हैं और जिनमें जारी अथवा मोरा लिखा होता
है, अपूर्ण समाचार कहलाते हैं। जब तक इन समाचारों का
अंतिम भाग प्राप्त न हो जाये ये अपूर्ण रहते हैं।
३. अर्ध विकसित समाचार
दुर्घटना, हिंसा या किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का निधन आदि के समाचार,
जो कि जब और जितने प्राप्त होते हैं उतने ही, उसी रूप में ही दे दिये जाते हैं तथा जैसे – जैसे सूचना प्राप्त होती है और समाचार संकलन किया जाता है
वैसे – वैसे विकसित रूप में प्रकाशित किये जाते हैं,
अर्ध विकसित समाचार कहलाते हैं।
४. परिवर्तनशील समाचार
प्राकृतिक विपदा, आम चुनाव, बड़ी दुर्घटना, किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की हत्या जैसे समाचार, जिनके तथ्यों, सूचनाओं तथा विवरणों
में निरंतर परिवर्तन व संशोधन की गुंजाइश हो, परिवर्तनशील समाचार कहलाते हैं।
५. बड़े अथवा व्यापी समाचार
आम चुनाव, केन्द्र सरकार का बजट, राष्ट्रपति का अभिभाषण जैसे समाचार, जो व्यापाक, असरकारी व प्रभावकारी होते हैं तथा जिनके विवरणों में
विस्तार व विविधता होती है और जो लगभग समाचार पत्र के प्रथम पृष्ठ का पूरा ऊपरी
भाग घेर लेते हैं, बड़े अथवा व्यापी समाचार
कहलाते हैं।
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