बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। इसके प्रस्थापक महात्मा बुद्ध शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे। वे 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व तक रहे। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गया। आज, हालाँकि बौद्ध धर्म में तीन सम्प्रदाय हैं: हीनयान या थेरवाद, महायान और वज्रयान, परन्तु हीनयान बौद्ध धर्म का प्रमुख सम्प्रदाय है। बौद्ध धर्म को अड़तीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है।
बौद्ध धर्म का अन्तिम लक्ष्य है सम्पूर्ण मानव समाज से दुःख का अंत। "मैं केवल एक ही पदार्थ सिखाता हूँ - दुःख है, दुःख का कारण है, दुःख का निरोध है, और दुःख के निरोध का मार्ग है" (बुद्ध)। बौद्ध धर्म के अनुयायी अष्टांगिक मार्ग पर चलकर के अनुसार जीकर अज्ञानता और दुःख से मुक्ति और निर्वाण पाने की कोशिश करते हैं।
- बौद्ध धर्म का परिचय :
ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। उक्त दोनों धर्म के बाद यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत आदि देशों में रहते हैं।
गुप्तकाल में यह धर्म यूनान, अफगानिस्तान और अरब के कई हिस्सों में फैल गया था किंतु ईसाई और इस्लाम के प्रभाव के चलते इस धर्म को मानने वाले लोग उक्त इलाकों में अब नहीं के बराबर ही है।
दो शब्दों में बौद्ध धर्म को व्यक्त किया जा सकता है- अभ्यास और जागृति। बौद्ध धर्म नास्तिकों का धर्म है। कर्म ही जीवन में सुख और दुख लाता है। सभी कर्म चक्रों से मुक्त हो जाना ही मोक्ष है। कर्म से मुक्त होने या ज्ञान प्राप्ति हेतु मध्यम मार्ग अपनाते हुए व्यक्ति को चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग का अभ्यास कहना चाहिए यही मोक्ष प्राप्ति का साधन है।
बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध हैं। इस धर्म के मुख्यत: दो संप्रदाय है हिनयान और महायान। वैशाख माह की पूर्णिमा का दिन बौद्धों का प्रमुख त्योहार होता है। बौद्ध धर्म के चार तीर्थ स्थल हैं- लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर। बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथ को त्रिपिटक कहा जाता है।
भगवान बुद्ध का परिचय : हिंदुओं के नौवें अवतार भगवान बुद्ध को गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ, तथागत और बोधिसत्व भी कहा जाता है। बुद्ध के पिता कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन थे और इनकी माता का नाम महारानी महामाया देवी था। बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा और पुत्र का नाम राहुल था।
वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। इसी दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने भारत के बोधगया में सत्य को जाना और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में भारत के कुशीनगर में निर्वाण (मृत्यु) को उपलब्ध हुए।
जब बुध को सच्चे बोध की प्राप्ति हुई उसी वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा को वे काशी के पास मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ) पहुँचे। वहीं पर उन्होंने सबसे पहला धर्मोपदेश दिया, जिसमें उन्होंने लोगों से मध्यम मार्ग अपनाने के लिए कहा। चार आर्य सत्य अर्थात दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। अहिंसा पर जोर दिया। यज्ञ, कर्मकांड और पशु-बलि की निंदा की।
बौद्ध सम्प्रदाय : भगवान बुद्ध के समय किसी भी प्रकार का कोई पंथ या सम्प्रदाय नहीं था किंतु बुद्ध के निर्वाण के बाद द्वितीय बौद्ध संगति में भिक्षुओं में मतभेद के चलते दो भाग हो गए। पहले को हिनयान और दूसरे को महायान कहते हैं। महायान अर्थात बड़ी गाड़ी या नौका और हिनयान अर्थात छोटी गाड़ी या नौका। हिनयान को ही थेरवाद भी कहते हैं। महायान के अंतर्गत बौद्ध धर्म की एक तीसरी शाखा थी वज्रयान। झेन, ताओ, शिंतो आदि अनेकों बौद्ध सम्प्रदाय भी उक्त दो सम्प्रदाय के अंतर्गत ही माने जाते हैं।
ND
बुध के गुरु और शिष्य : बुद्ध के प्रमुख गुरु थे- गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त आदि और प्रमुख शिष्य थे- आनंद, अनिरुद्ध, महाकश्यप, रानी खेमा (महिला), महाप्रजापति (महिला), भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, उपाली आदि। प्रमुख प्रचारक- अँगुलिमाल, मिलिंद (यूनानी सम्राट), सम्राट अशोक, ह्वेन त्सांग, फा श्येन, ई जिंग, हे चो आदि।
बौद्ध धर्मग्रंथ : बौद्ध धर्म के मूल तत्व है- चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण। बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटक के तीन भाग है- विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्मपिटक। उक्त पिटकों के अंतर्गत उप-ग्रंथों की विशाल श्रृंखलाएँ है। सुत्तपिटक के पाँच भाग में से एक खुद्दक निकाय की पंद्रह रचनाओं में से एक है धम्मपद। धम्मपद ज्यादा प्रचलित है।
बौद्ध तीर्थ : लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर ये चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ विश्वभर के बौद्ध अनुयायी बौद्ध त्योहार पर इकट्ठा होते हैं। लुम्बिनी तीर्थ नेपाल में है। बोधगया भारत के बिहार में है। सारनाथ भारत के उत्तरप्रदेश में काशी के पास हैं। कुशीनगर उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के पास का एक जिला है।
बौद्ध त्योहार : वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था तथा इसी दिन उन्होंने देह छोड़ दी थी अर्थात निर्वाण प्राप्त किया था इसलिए उक्त पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती और निर्वाण दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा आषाढ़ की पूर्णिमा का दिन भी बौद्धों का प्रमुख त्योहार होता है।
बौद्ध धर्म का अन्तिम लक्ष्य है सम्पूर्ण मानव समाज से दुःख का अंत। "मैं केवल एक ही पदार्थ सिखाता हूँ - दुःख है, दुःख का कारण है, दुःख का निरोध है, और दुःख के निरोध का मार्ग है" (बुद्ध)। बौद्ध धर्म के अनुयायी अष्टांगिक मार्ग पर चलकर के अनुसार जीकर अज्ञानता और दुःख से मुक्ति और निर्वाण पाने की कोशिश करते हैं।
- बौद्ध धर्म का परिचय :
ईसाई और इस्लाम धर्म से पूर्व बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई थी। उक्त दोनों धर्म के बाद यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। इस धर्म को मानने वाले ज्यादातर चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, कंबोडिया, श्रीलंका, नेपाल, भूटान और भारत आदि देशों में रहते हैं।
गुप्तकाल में यह धर्म यूनान, अफगानिस्तान और अरब के कई हिस्सों में फैल गया था किंतु ईसाई और इस्लाम के प्रभाव के चलते इस धर्म को मानने वाले लोग उक्त इलाकों में अब नहीं के बराबर ही है।
दो शब्दों में बौद्ध धर्म को व्यक्त किया जा सकता है- अभ्यास और जागृति। बौद्ध धर्म नास्तिकों का धर्म है। कर्म ही जीवन में सुख और दुख लाता है। सभी कर्म चक्रों से मुक्त हो जाना ही मोक्ष है। कर्म से मुक्त होने या ज्ञान प्राप्ति हेतु मध्यम मार्ग अपनाते हुए व्यक्ति को चार आर्य सत्य को समझते हुए अष्टांग मार्ग का अभ्यास कहना चाहिए यही मोक्ष प्राप्ति का साधन है।
बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध हैं। इस धर्म के मुख्यत: दो संप्रदाय है हिनयान और महायान। वैशाख माह की पूर्णिमा का दिन बौद्धों का प्रमुख त्योहार होता है। बौद्ध धर्म के चार तीर्थ स्थल हैं- लुंबिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर। बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथ को त्रिपिटक कहा जाता है।
वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। इसी दिन 528 ईसा पूर्व उन्होंने भारत के बोधगया में सत्य को जाना और इसी दिन वे 483 ईसा पूर्व को 80 वर्ष की उम्र में भारत के कुशीनगर में निर्वाण (मृत्यु) को उपलब्ध हुए।
जब बुध को सच्चे बोध की प्राप्ति हुई उसी वर्ष आषाढ़ की पूर्णिमा को वे काशी के पास मृगदाव (वर्तमान में सारनाथ) पहुँचे। वहीं पर उन्होंने सबसे पहला धर्मोपदेश दिया, जिसमें उन्होंने लोगों से मध्यम मार्ग अपनाने के लिए कहा। चार आर्य सत्य अर्थात दुःख, उसके कारण और निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। अहिंसा पर जोर दिया। यज्ञ, कर्मकांड और पशु-बलि की निंदा की।
बौद्ध सम्प्रदाय : भगवान बुद्ध के समय किसी भी प्रकार का कोई पंथ या सम्प्रदाय नहीं था किंतु बुद्ध के निर्वाण के बाद द्वितीय बौद्ध संगति में भिक्षुओं में मतभेद के चलते दो भाग हो गए। पहले को हिनयान और दूसरे को महायान कहते हैं। महायान अर्थात बड़ी गाड़ी या नौका और हिनयान अर्थात छोटी गाड़ी या नौका। हिनयान को ही थेरवाद भी कहते हैं। महायान के अंतर्गत बौद्ध धर्म की एक तीसरी शाखा थी वज्रयान। झेन, ताओ, शिंतो आदि अनेकों बौद्ध सम्प्रदाय भी उक्त दो सम्प्रदाय के अंतर्गत ही माने जाते हैं।
बौद्ध धर्मग्रंथ : बौद्ध धर्म के मूल तत्व है- चार आर्य सत्य, आष्टांगिक मार्ग, प्रतीत्यसमुत्पाद, अव्याकृत प्रश्नों पर बुद्ध का मौन, बुद्ध कथाएँ, अनात्मवाद और निर्वाण। बुद्ध ने अपने उपदेश पालि भाषा में दिए, जो त्रिपिटकों में संकलित हैं। त्रिपिटक के तीन भाग है- विनयपिटक, सुत्तपिटक और अभिधम्मपिटक। उक्त पिटकों के अंतर्गत उप-ग्रंथों की विशाल श्रृंखलाएँ है। सुत्तपिटक के पाँच भाग में से एक खुद्दक निकाय की पंद्रह रचनाओं में से एक है धम्मपद। धम्मपद ज्यादा प्रचलित है।
बौद्ध तीर्थ : लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर ये चार प्रमुख बौद्ध तीर्थ स्थल है, जहाँ विश्वभर के बौद्ध अनुयायी बौद्ध त्योहार पर इकट्ठा होते हैं। लुम्बिनी तीर्थ नेपाल में है। बोधगया भारत के बिहार में है। सारनाथ भारत के उत्तरप्रदेश में काशी के पास हैं। कुशीनगर उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के पास का एक जिला है।
बौद्ध त्योहार : वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म हुआ था और इसी दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ था तथा इसी दिन उन्होंने देह छोड़ दी थी अर्थात निर्वाण प्राप्त किया था इसलिए उक्त पूर्णिमा के दिन बुद्ध जयंती और निर्वाण दिवस मनाया जाता है। इसके अलावा आषाढ़ की पूर्णिमा का दिन भी बौद्धों का प्रमुख त्योहार होता है।
No comments:
Post a Comment