कुछ लोग यह सोचते हैं कि किसी खास सॉफ्टवेयर या किसी खास वेबसाइट पर मौजूद टूल उनके लिए एक बेहतरीन वेबसाइट तैयार कर सकते हैं। लेकिन ऐसा कोई जादुई सॉफ्टवेयर या टूल मौजूद नहीं है , जो आपके लिए खुद-ब-खुद एक बेहतरीन वेबसाइट तैयार कर दे। अच्छी वेबसाइट बनाना आपकी क्रिएटिविटी , तकनीक के साथ तालमेल , तैयारी और मेहनत पर निर्भर करता है। आनन-फानन में वेबसाइट तैयार करने वाले टूल अमेचर यूजर्स के लिए जरूर अनुकूल हो सकती हैं , लेकिन प्रफेशनल्स के लिए ये शायद ही कुछ काम के हों। फिर भी ,ऐसी कुछ सुविधाओं पर भी हम इस सीरीज के दौरान चर्चा करेंगे। हमारा फोकस इस बात पर ही रहेगा कि आप कायदे की एक वेबसाइट बना सकें।
अपनी वेबसाइट बनाने और होस्ट करने से पहले आपको उसके डिजाइन , रंग-रूप , कॉन्टेन्ट , फीचर्स , ढांचे ,इंटरऐक्टिविटी वगैरह के बारे में कुछ जरूरी फैसले करने होंगे। दूसरा , भले ही आपको विशेष तकनीकी जानकारी न हो , फिर भी कुछ तकनीकी मुद्दों पर आपको ही सोचना होगा। बेशक , हमारी मदद से।
डिजाइन और कॉन्टेंट के नियम
ज्यादातर लोग अपनी वेबसाइट को रंग-बिरंगी और तरह-तरह के ऐनिमेशन से भरी हुई बनाना चाहते हैं। लेकिन जिस तरह कपड़े वही अच्छे होते हैं , जो आपको नहीं , दूसरों को अच्छे लगें , उसी तरह वेबसाइट का डिजाइन भी वही बेहतर है , जो औरों को पसंद आए। डिजाइन बनाने/बनवाने से पहले इन बातों पर ध्यान दें : - साइट दिखने में सादी , स्तरीय और आकर्षक हो , बचकानी नहीं।
- यहां फोकस उन्हीं जानकारियों पर रहना चाहिए , जो आप साइट पर आने वालों को देना चाहते हैं। जैसे आपके प्रॉडक्ट , सर्विसेज़ , क्लाइंट्स की लिस्ट , खासियतें वगैरह।
- साइट बनाने के पीछे एक बुनियादी मकसद होना चाहिए और वही सबसे ऊपर दिखना भी चाहिए। अगर आप इनवर्टर बनाते हैं, तो होमपेज पर ही आपके इनवर्टर की तसवीरें और उनसे जुड़े कुछ प्रमुख बिंदु दिखाई दे जाने चाहिए। बाकी जानकारी भीतर के पेजों पर दी जा सकती है।
- पाठक को एक नजर में ही आपके काम का आइडिया मिल जाना चाहिए। कोई भी उन्हें वेबसाइट के दूसरे हिस्सों में जाकर ढूंढने वाला नहीं है।
- बेवजह के ऐनिमेशन , विडियो , चित्र , म्यूजिक आदि साइट का स्तर घटाते हैं और बेवजह लोगों का ध्यान इधर-उधर की चीजों में भटकाते हैं। ऐसी चीजें बच्चों के क्लास प्रॉजेक्ट्स में ही अच्छी लगती हैं। हां , अगर वे आपके काम से जुड़े हैं तो जरूर इस्तेमाल करें।
- हर शख्स के पास तेज रफ्तार वाला इंटरनेट कनेक्शन नहीं होता , इसलिए किसी भी वेब पेज पर डाले जाने वाले कॉन्टेंट का आकार सीमित होना चाहिए। जिन चित्रों , विडियो , ऐनिमेशन्स आदि को पेज पर डालना चाहते हैं , उनकी फाइलों का साइज देखें। एक पेज पर जाने वाली सब चीजों का आकार 100 केबी तक रहे तो पेज हर किस्म के ब्रॉडबैंड कनेक्शन पर आसानी से खुल जाएगा। यहां तक कि मोबाइल फोन पर भी।
- आप अपने चित्रों , फोटो आदि की फाइल का आकार घटा भी सकते हैं। इसके लिए फोटोशॉप जैसे सॉफ्टवेयर या netmechanic.com जैसी इंटरनेट साइट की मदद लें।
- साइट पर सिर्फ सटीक और जरूरी जानकारियां डालें। यह सोचकर बेवजह पन्नों की संख्या या साइज बढ़ाने की जरूरत नहीं है कि बड़ी साइट आपकी बड़ी इमेज बनाएगी।
- शुरुआत में सब कुछ आसान रखें। नए फीचर , सर्विसेज़ , कॉन्टेंट आदि बाद में भी जोड़ते रह सकते हैं।
- पॉप-अप विंडोज (लिंक दबाने पर अलग से खुलने वाली ब्राउजर विंडो) का इस्तेमाल न करें।
अच्छी और कामयाब साइट के गुर
- साइट जल्दी खुलनी चाहिए
- एक से दूसरे पेज में जाना आसान हो (ईजी नैविगेशन)
- हमेशा ताजा सूचनाएं मौजूद हों (अपडेटेड)
- कभी बंद न हो (मिनिमम डाउनडाइम)
- ईमेल का जवाब देने की व्यवस्था हो
- सर्च इंजनों (गूगल , बिंग , याहू आदि) में प्रमुखता से दिखे
- स्पेलिंग या ग्रामर की अशुद्धियां न हों
- हर तरह के ब्राउजर (इंटरनेट एक्सप्लोरर , क्रोम , फायरफॉक्स , सफारी आदि) पर खुले और एक-सी दिखे
- वेबपेजों की लंबाई-चौड़ाई (रिजॉल्यूशन) ऐसा हो कि हर साइज के मॉनिटर पर दिखाई दे। पेज इतना चौड़ा न हो कि लोगों को स्क्रॉल बार का इस्तेमाल करना पड़े।
- डोमेन नेम कभी एक्सपायर नहीं होना चाहिए और न ही वेब होस्टिंग अकाउंट।
किसी भी वेबसाइट के चार सबसे अहम तत्व हैं:
1. मकसद , काम या संदेश जिसके लिए वह बनी है
2. ढांचा या स्ट्रक्चर
3. कॉन्टेंट या सामग्री
4. डिजाइन , इंटरफेस या लेआउट
वेबसाइट बनाना शुरू करने से पहले इन चारों के लिए तैयारी और रिसर्च जरूरी है।
1. मकसद , काम या संदेश : हर वेबसाइट कोई न कोई मकसद पूरा करने के लिए बनाई जाती है। वह पहले से ही साफ होना चाहिए ताकि बेवजह इधर-उधर भटके बिना आप अपनी जरूरतों के मुताबिक सटीक वेबसाइट तैयार कर सकें। आपकी वेबसाइट का होमपेज खुलते ही यह मकसद आपके पाठकों को भी साफ हो जाना चाहिए।
2. वेबसाइट का ढांचा : एक प्रफेशनल वेबसाइट में हर वह सूचना या उसके अंश मौजूद होने चाहिए , जो आपके ग्राहकों या पाठकों के लिए अहम हो सकती है। जैसे, होमपेज, आपके बारे में, आपकी सेवाएं या उत्पाद, नई खबरें , नए उत्पादों का ब्योरा, पूछे जाने वाले सवाल, बड़े ग्राहकों का ब्योरा , आपके बारे में उनकी राय, डाउनलोड सामग्री (मीडिया और निवेशकों के लिए), ईमेल और डाक भेजने के लिए ब्योरा तथा संपर्क पेज (Contact Us )
3. कॉन्टेंट या सामग्री , जो जुटानी होगी : कंपनी का लोगो , हर वेब पेज पर डाला जाने वाला ब्योरा, प्रॉडक्ट्स और सेवाओं से जुड़ी तस्वीरें, गतिविधियों , इवेन्ट्स , उपलब्धियों से जुड़े चित्र, ऑफिशल ईमेल अड्रेस, डाउनलोड के लिए डाली जाने वाली सामग्री (पीडीएफ , कैटलॉग , फॉर्म आदि), डिजाइन के लिए आकर्षक ग्राफिक्स , बैकग्राउंड इमेज आदि।
4. अच्छा डिजाइन कैसे बने : हर शख्स डिजाइनर नहीं होता और न ही सबके पास अपनी कल्पनाओं को हकीकत में ढालने की क्षमता होती है। लेकिन पहले तैयारी की जाए तो आपकी वेबसाइट आपकी कल्पना के ज्यादा करीब आ सकती है।
- इंटरनेट पर रिसर्च करें और कुछ अच्छी वेबसाइटों के डिजाइन देखें।
- अपने मुकाबले वाली कंपनियों की वेबसाइटों को देखें।
- उन सुविधाओं और फीचर्स की सूची तैयार करें , जो आप साइट में चाहते हैं।
- एक सादे कागज पर आपकी भावी वेबसाइट का चित्र या नक्शा खींचने का प्रयास करें।
इन चारों चरणों में इकट्ठी की गई सामग्री अपने वेब डिजाइनर को दें। अगर आप खुद साइट बनाने का इरादा रखते हैं तो वेब डिवलपमेंट शुरू करने से पहले इसे तैयार रखें।
काम शुरू करने से पहले जान लें
- आपकी वेबसाइट कोई सिंगल फाइल नहीं , बल्कि कई फाइलों (वेब पेजों) का ग्रुप है , जिन्हें आपस में लिंक किया जाता है।
- इन फाइलों के एक्सटेंशन . htm, .html, .asp, .php, .asp&, .jsp आदि होते हैं।
- साइट का होमपेज वह है , जो वेबसाइट का अड्रेस डालने पर सबसे पहले दिखाई देता है।
- जिस वेबसाइट में होमपेज नहीं है , वह पूरी की पूरी वेबसाइट ही ब्राउजर में नहीं खुलेगी , क्योंकि आपका होमपेज साइट का प्रवेश द्वार है।
- वेब पेज स्टैटिक भी हो सकते हैं और डायनैमिक भी। स्टैटिक पेज वह है , जिसमें दी गई सूचनाएं लंबे वक्त तक नहीं बदलतीं। डायनैमिक पेज की जानकारी तेजी से बदलती रहती है। जैसे अखबारों की वेबसाइटें , जिन पर रोज नई खबरें दिखती हैं।
- स्टैटिक होमपेज की फाइल का नाम अमूमन inde&.htm, default.htm होता है।
- डायनैमिक वेबपेज बनाने के लिए सर्वर साइड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज (डॉट नेट , पीएचपी , रूबी , पर्ल , जेएसपी आदि) का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी साइटों के होमपेज का फाइल नाम default.asp&, inde&.phpजैसा होता है।
- वेब पेजों को पहले अपने कंप्यूटर में तैयार किया जाता है। उसके बाद उन्हें वेब सर्वर पर डाला (अपलोड किया) जाता है। इसके लिए FTP सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल किया जाता है। ये सॉफ्टवेयर आपके और आपके वेब सर्वर के बीच उसी तरह फाइलों का ट्रांसफर कर सकते हैं , जैसे आप अपने कंप्यूटर में एक जगह से दूसरी जगह पर करते हैं।
- वेब पेजों को तैयार करने के लिए कुछ खास सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें WYSIWYG कहा जाता है , जिसका अर्थ है- What you see is what you get, यानी जैसा डिजाइन किया हुआ पेज आपको अपनी स्क्रीन पर दिख रहा है , वैसा ही इंटरनेट पर भी दिखेगा।
खास-खास वेब पेज डिजाइन सॉफ्टवेयर (चार्जेबल)
ये सॉफ्टवेयर वेब पेज डिजाइन और डिवलपमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका इस्तेमाल माइक्रोसॉफ्ट वर्ड जितना ही आसान है , हालांकि HTML (वेब पेज बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कंप्यूटर लैंग्वेज या फॉर्मैट) की जानकारी होना बेहतर है।
-Microsoft Expression Web
-Adobe Dreamweaver
-Microsoft FrontPage
-Adobe GoLive
-Adobe Contribute
-Microsoft Sharepoint Designer
-Microsoft Visual Web designer
-Microsoft Publisher
इनमें से पहले तीन सॉफ्टवेयर सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं।
MS Word से बनाएं वेबसाइट
- आप चाहें तो Microsoft Word में ही अपनी फाइल तैयार कर उसे वर्ड फॉर्मैट ( .doc ) के बजाय वेब फॉर्मैट (. htm या . html ) में सेव कर सकते हैं। बस हो गया आपका वेब पेज तैयार।
- इस फॉर्मैट में सेव करने के लिए अपनी वर्ड फाइल तैयार करने के बाद Save As विकल्प का इस्तेमाल करें और वहां बॉक्स में दिखने वाले फॉर्मैट्स की सूची में वेब पेज (. html ) चुन लें। इस विकल्प तक पहुंचने के लिएMicrosoft Office 2007 और आगे के सॉफ्टवेयरों में Other Format बटन भी दबाना होगा।
- फाइल का नाम कुछ भी रखा जा सकता है , लेकिन यदि आप उसे वेबसाइट का होमपेज बनाना चाहते हैं तो नाम रखें- index.html
- जहां यह फाइल सेव हुई है , वहां उसके आइकन पर क्लिक करके देखें। फाइल एमएस वर्ड में नहीं , बल्कि इंटरनेट एक्सप्लोरर या आपके दूसरे वेब ब्राउजर में खुलेगी। यानी अब वह वर्ड फाइल नहीं रही , बल्कि वेब पेज में बदल चुकी है।
अपनी वेबसाइट बनाने और होस्ट करने से पहले आपको उसके डिजाइन , रंग-रूप , कॉन्टेन्ट , फीचर्स , ढांचे ,इंटरऐक्टिविटी वगैरह के बारे में कुछ जरूरी फैसले करने होंगे। दूसरा , भले ही आपको विशेष तकनीकी जानकारी न हो , फिर भी कुछ तकनीकी मुद्दों पर आपको ही सोचना होगा। बेशक , हमारी मदद से।
डिजाइन और कॉन्टेंट के नियम
ज्यादातर लोग अपनी वेबसाइट को रंग-बिरंगी और तरह-तरह के ऐनिमेशन से भरी हुई बनाना चाहते हैं। लेकिन जिस तरह कपड़े वही अच्छे होते हैं , जो आपको नहीं , दूसरों को अच्छे लगें , उसी तरह वेबसाइट का डिजाइन भी वही बेहतर है , जो औरों को पसंद आए। डिजाइन बनाने/बनवाने से पहले इन बातों पर ध्यान दें : - साइट दिखने में सादी , स्तरीय और आकर्षक हो , बचकानी नहीं।
- यहां फोकस उन्हीं जानकारियों पर रहना चाहिए , जो आप साइट पर आने वालों को देना चाहते हैं। जैसे आपके प्रॉडक्ट , सर्विसेज़ , क्लाइंट्स की लिस्ट , खासियतें वगैरह।
- साइट बनाने के पीछे एक बुनियादी मकसद होना चाहिए और वही सबसे ऊपर दिखना भी चाहिए। अगर आप इनवर्टर बनाते हैं, तो होमपेज पर ही आपके इनवर्टर की तसवीरें और उनसे जुड़े कुछ प्रमुख बिंदु दिखाई दे जाने चाहिए। बाकी जानकारी भीतर के पेजों पर दी जा सकती है।
- पाठक को एक नजर में ही आपके काम का आइडिया मिल जाना चाहिए। कोई भी उन्हें वेबसाइट के दूसरे हिस्सों में जाकर ढूंढने वाला नहीं है।
- बेवजह के ऐनिमेशन , विडियो , चित्र , म्यूजिक आदि साइट का स्तर घटाते हैं और बेवजह लोगों का ध्यान इधर-उधर की चीजों में भटकाते हैं। ऐसी चीजें बच्चों के क्लास प्रॉजेक्ट्स में ही अच्छी लगती हैं। हां , अगर वे आपके काम से जुड़े हैं तो जरूर इस्तेमाल करें।
- हर शख्स के पास तेज रफ्तार वाला इंटरनेट कनेक्शन नहीं होता , इसलिए किसी भी वेब पेज पर डाले जाने वाले कॉन्टेंट का आकार सीमित होना चाहिए। जिन चित्रों , विडियो , ऐनिमेशन्स आदि को पेज पर डालना चाहते हैं , उनकी फाइलों का साइज देखें। एक पेज पर जाने वाली सब चीजों का आकार 100 केबी तक रहे तो पेज हर किस्म के ब्रॉडबैंड कनेक्शन पर आसानी से खुल जाएगा। यहां तक कि मोबाइल फोन पर भी।
- आप अपने चित्रों , फोटो आदि की फाइल का आकार घटा भी सकते हैं। इसके लिए फोटोशॉप जैसे सॉफ्टवेयर या netmechanic.com जैसी इंटरनेट साइट की मदद लें।
- साइट पर सिर्फ सटीक और जरूरी जानकारियां डालें। यह सोचकर बेवजह पन्नों की संख्या या साइज बढ़ाने की जरूरत नहीं है कि बड़ी साइट आपकी बड़ी इमेज बनाएगी।
- शुरुआत में सब कुछ आसान रखें। नए फीचर , सर्विसेज़ , कॉन्टेंट आदि बाद में भी जोड़ते रह सकते हैं।
- पॉप-अप विंडोज (लिंक दबाने पर अलग से खुलने वाली ब्राउजर विंडो) का इस्तेमाल न करें।
अच्छी और कामयाब साइट के गुर
- साइट जल्दी खुलनी चाहिए
- एक से दूसरे पेज में जाना आसान हो (ईजी नैविगेशन)
- हमेशा ताजा सूचनाएं मौजूद हों (अपडेटेड)
- कभी बंद न हो (मिनिमम डाउनडाइम)
- ईमेल का जवाब देने की व्यवस्था हो
- सर्च इंजनों (गूगल , बिंग , याहू आदि) में प्रमुखता से दिखे
- स्पेलिंग या ग्रामर की अशुद्धियां न हों
- हर तरह के ब्राउजर (इंटरनेट एक्सप्लोरर , क्रोम , फायरफॉक्स , सफारी आदि) पर खुले और एक-सी दिखे
- वेबपेजों की लंबाई-चौड़ाई (रिजॉल्यूशन) ऐसा हो कि हर साइज के मॉनिटर पर दिखाई दे। पेज इतना चौड़ा न हो कि लोगों को स्क्रॉल बार का इस्तेमाल करना पड़े।
- डोमेन नेम कभी एक्सपायर नहीं होना चाहिए और न ही वेब होस्टिंग अकाउंट।
किसी भी वेबसाइट के चार सबसे अहम तत्व हैं:
1. मकसद , काम या संदेश जिसके लिए वह बनी है
2. ढांचा या स्ट्रक्चर
3. कॉन्टेंट या सामग्री
4. डिजाइन , इंटरफेस या लेआउट
वेबसाइट बनाना शुरू करने से पहले इन चारों के लिए तैयारी और रिसर्च जरूरी है।
1. मकसद , काम या संदेश : हर वेबसाइट कोई न कोई मकसद पूरा करने के लिए बनाई जाती है। वह पहले से ही साफ होना चाहिए ताकि बेवजह इधर-उधर भटके बिना आप अपनी जरूरतों के मुताबिक सटीक वेबसाइट तैयार कर सकें। आपकी वेबसाइट का होमपेज खुलते ही यह मकसद आपके पाठकों को भी साफ हो जाना चाहिए।
2. वेबसाइट का ढांचा : एक प्रफेशनल वेबसाइट में हर वह सूचना या उसके अंश मौजूद होने चाहिए , जो आपके ग्राहकों या पाठकों के लिए अहम हो सकती है। जैसे, होमपेज, आपके बारे में, आपकी सेवाएं या उत्पाद, नई खबरें , नए उत्पादों का ब्योरा, पूछे जाने वाले सवाल, बड़े ग्राहकों का ब्योरा , आपके बारे में उनकी राय, डाउनलोड सामग्री (मीडिया और निवेशकों के लिए), ईमेल और डाक भेजने के लिए ब्योरा तथा संपर्क पेज (Contact Us )
3. कॉन्टेंट या सामग्री , जो जुटानी होगी : कंपनी का लोगो , हर वेब पेज पर डाला जाने वाला ब्योरा, प्रॉडक्ट्स और सेवाओं से जुड़ी तस्वीरें, गतिविधियों , इवेन्ट्स , उपलब्धियों से जुड़े चित्र, ऑफिशल ईमेल अड्रेस, डाउनलोड के लिए डाली जाने वाली सामग्री (पीडीएफ , कैटलॉग , फॉर्म आदि), डिजाइन के लिए आकर्षक ग्राफिक्स , बैकग्राउंड इमेज आदि।
4. अच्छा डिजाइन कैसे बने : हर शख्स डिजाइनर नहीं होता और न ही सबके पास अपनी कल्पनाओं को हकीकत में ढालने की क्षमता होती है। लेकिन पहले तैयारी की जाए तो आपकी वेबसाइट आपकी कल्पना के ज्यादा करीब आ सकती है।
- इंटरनेट पर रिसर्च करें और कुछ अच्छी वेबसाइटों के डिजाइन देखें।
- अपने मुकाबले वाली कंपनियों की वेबसाइटों को देखें।
- उन सुविधाओं और फीचर्स की सूची तैयार करें , जो आप साइट में चाहते हैं।
- एक सादे कागज पर आपकी भावी वेबसाइट का चित्र या नक्शा खींचने का प्रयास करें।
इन चारों चरणों में इकट्ठी की गई सामग्री अपने वेब डिजाइनर को दें। अगर आप खुद साइट बनाने का इरादा रखते हैं तो वेब डिवलपमेंट शुरू करने से पहले इसे तैयार रखें।
काम शुरू करने से पहले जान लें
- आपकी वेबसाइट कोई सिंगल फाइल नहीं , बल्कि कई फाइलों (वेब पेजों) का ग्रुप है , जिन्हें आपस में लिंक किया जाता है।
- इन फाइलों के एक्सटेंशन . htm, .html, .asp, .php, .asp&, .jsp आदि होते हैं।
- साइट का होमपेज वह है , जो वेबसाइट का अड्रेस डालने पर सबसे पहले दिखाई देता है।
- जिस वेबसाइट में होमपेज नहीं है , वह पूरी की पूरी वेबसाइट ही ब्राउजर में नहीं खुलेगी , क्योंकि आपका होमपेज साइट का प्रवेश द्वार है।
- वेब पेज स्टैटिक भी हो सकते हैं और डायनैमिक भी। स्टैटिक पेज वह है , जिसमें दी गई सूचनाएं लंबे वक्त तक नहीं बदलतीं। डायनैमिक पेज की जानकारी तेजी से बदलती रहती है। जैसे अखबारों की वेबसाइटें , जिन पर रोज नई खबरें दिखती हैं।
- स्टैटिक होमपेज की फाइल का नाम अमूमन inde&.htm, default.htm होता है।
- डायनैमिक वेबपेज बनाने के लिए सर्वर साइड स्क्रिप्टिंग लैंग्वेज (डॉट नेट , पीएचपी , रूबी , पर्ल , जेएसपी आदि) का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसी साइटों के होमपेज का फाइल नाम default.asp&, inde&.phpजैसा होता है।
- वेब पेजों को पहले अपने कंप्यूटर में तैयार किया जाता है। उसके बाद उन्हें वेब सर्वर पर डाला (अपलोड किया) जाता है। इसके लिए FTP सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल किया जाता है। ये सॉफ्टवेयर आपके और आपके वेब सर्वर के बीच उसी तरह फाइलों का ट्रांसफर कर सकते हैं , जैसे आप अपने कंप्यूटर में एक जगह से दूसरी जगह पर करते हैं।
- वेब पेजों को तैयार करने के लिए कुछ खास सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल किया जाता है। इन्हें WYSIWYG कहा जाता है , जिसका अर्थ है- What you see is what you get, यानी जैसा डिजाइन किया हुआ पेज आपको अपनी स्क्रीन पर दिख रहा है , वैसा ही इंटरनेट पर भी दिखेगा।
खास-खास वेब पेज डिजाइन सॉफ्टवेयर (चार्जेबल)
ये सॉफ्टवेयर वेब पेज डिजाइन और डिवलपमेंट के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। इनका इस्तेमाल माइक्रोसॉफ्ट वर्ड जितना ही आसान है , हालांकि HTML (वेब पेज बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कंप्यूटर लैंग्वेज या फॉर्मैट) की जानकारी होना बेहतर है।
-Microsoft Expression Web
-Adobe Dreamweaver
-Microsoft FrontPage
-Adobe GoLive
-Adobe Contribute
-Microsoft Sharepoint Designer
-Microsoft Visual Web designer
-Microsoft Publisher
इनमें से पहले तीन सॉफ्टवेयर सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं।
MS Word से बनाएं वेबसाइट
- आप चाहें तो Microsoft Word में ही अपनी फाइल तैयार कर उसे वर्ड फॉर्मैट ( .doc ) के बजाय वेब फॉर्मैट (. htm या . html ) में सेव कर सकते हैं। बस हो गया आपका वेब पेज तैयार।
- इस फॉर्मैट में सेव करने के लिए अपनी वर्ड फाइल तैयार करने के बाद Save As विकल्प का इस्तेमाल करें और वहां बॉक्स में दिखने वाले फॉर्मैट्स की सूची में वेब पेज (. html ) चुन लें। इस विकल्प तक पहुंचने के लिएMicrosoft Office 2007 और आगे के सॉफ्टवेयरों में Other Format बटन भी दबाना होगा।
- फाइल का नाम कुछ भी रखा जा सकता है , लेकिन यदि आप उसे वेबसाइट का होमपेज बनाना चाहते हैं तो नाम रखें- index.html
- जहां यह फाइल सेव हुई है , वहां उसके आइकन पर क्लिक करके देखें। फाइल एमएस वर्ड में नहीं , बल्कि इंटरनेट एक्सप्लोरर या आपके दूसरे वेब ब्राउजर में खुलेगी। यानी अब वह वर्ड फाइल नहीं रही , बल्कि वेब पेज में बदल चुकी है।
No comments:
Post a Comment